Delhi Air Pollution: हर तरफ धुंध, दिल्ली की आबोहवा फिर हुई गंभीर, जानें कब मिलेगी राहत
Delhi Air Pollution | PTI

नयी दिल्ली, 24 नवंबर : राष्ट्रीय राजधानी में तापमान में गिरावट तथा रात के समय हवा की गति मंद रहने से प्रदूषकों के एकत्रित होने के कारण शुक्रवार को वायु गुणवत्ता फिर से ‘‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई. शुक्रवार सुबह आठ बजे एक्यूआई 401 दर्ज किया गया जबकि शाम चार बजे एक्यूआई 415 दर्ज किया गया. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक वैज्ञानिक ने 27 नवंबर से उत्तर-पश्चिमी भारत को प्रभावित करने वाले एक पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण मौसम संबंधी स्थितियों में संभावित सुधार के परिणामस्वरूप प्रदूषण से थोड़ी राहत मिलने का अनुमान जताया है. दिल्ली में रविवार को मामूली सुधार के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) के स्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.

दिल्ली में 24 घंटे का औसत एक्यूआई प्रतिदिन शाम चार बजे दर्ज किया जाता है, जो बृहस्पतिवार को 390, बुधवार को 394, मंगलवार को 365, सोमवार को 348 और रविवार को 301 रहा था. हवा की अनुकूल स्थिति के कारण प्रदूषण के स्तर में सुधार के मद्देनजर केंद्र ने शनिवार को सार्वजनिक निर्माण से संबंधित कार्य पर तथा ट्रकों के प्रवेश पर रोक सहित कड़े प्रतिबंध हटा लिए थे, जिसके बाद से एक्यूआई के स्तर में वृद्धि हुई है. दिल्ली के पड़ोसी शहर गाजियाबाद (401), गुरुग्राम (335), ग्रेटर नोएडा (365), नोएडा (367) और फरीदाबाद (415) में भी हवा की गुणवत्ता बहुत खराब अथवा गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई. यह भी पढ़ें : Delhi Air Quality: दिल्ली में सांस लेना हुआ दूभर! वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंची

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के अीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’, 401 और 450 के बीच ‘गंभीर’ एवं 450 के ऊपर ‘अत्यंत गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है. पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, अगले कुछ दिनों में प्रदूषण का स्तर 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणियों में रहने की संभावना है. दिल्ली सरकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर की एक संयुक्त परियोजना के आंकड़ों के मुताबिक बृहस्पतिवार को राजधानी के वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का लगभग 38 फीसदी योगदान था