देश की खबरें | दिल्ली हिंसा: अदालत ने पिंजरा तोड़ समूह की दो सदस्यों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
जियो

नयी दिल्ली, 28 मई दिल्ली की एक अदालत ने ‘पिंजरा तोड़’ समूह से जुड़ी दो महिला सदस्यों को उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में बृहस्पतिवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ‘पिंजरा तोड़’ समूह दिल्ली भर के कालेज की छात्राओं एवं पूर्व छात्रों का एक समूह है।

‘पिंजरा तोड़’ की स्थापना 2015 में छात्रावास एवं पेइंग गेस्ट में छात्राओं के लिए रोक टोक में कमी लाने के उद्देश्य से की गई थी।

यह भी पढ़े | ओडिशा: मंदिर के पुजारी ने मानव की दी बलि, कहा- कोविड-19 वैश्विक महामारी खत्म करने के लिए देवी ने दिए थे आदेश.

2015 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने एक नोटिस जारी किया था जिसमें छात्राओं के रात आठ बजे के बाद बाहर रहने पर पाबंदी लगायी गई थी।

जब दिल्ली महिला आयोग ने इसको लेकर जामिया प्रशासन से सवाल किया तो छात्राओं के एक समूह ने पाबंदी के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला किया। यह प्रदर्शन उन्होंने न केवल जामिया में बल्कि दिल्ली में अन्य विश्वविद्यालयों में भी करने का निर्णय किया। बाद में समूह ने ‘पिंजरा तोड़’ के नाम से लोगों को छात्रावास और पेइंग गेस्ट में छात्राओं द्वारा सामना किये जाने वाले मुद्दों को लेकर एकजुट किया।

यह भी पढ़े | टिड्डी दल का आक्रमण: महाराष्ट्र के गोंदिया की तरफ बढ़ रहा टिड्डी दल, अधिकारियों ने सावधान रहने को कहा.

पिंजरा तोड़ से जुड़ी जेएनयू की छात्राओं नताशा नरवाल और देवंगाना कलिता को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कपिल कुमार ने तब न्यायिक हिरासत में भेज दिया जब पुलिस ने कहा कि जांच के लिए उनकी और हिरासत की जरूरत नहीं है।

दोनों वर्तमान में यहां मंडोली जेल में बंद हैं।

पुलिस ने इससे पहले अदालत को बताया था कि मामले में षड्यंत्र का पता लगाने और मामले के अन्य आरोपियों की पहचान करने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत है।

छात्राओं के लिए पेश हुए अधिवक्ता अदित एस पुजारी ने अदालत को बताया कि इन छात्राओं को ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ इरादे से गिरफ्तार किया गया है।

दोनों को गत फरवरी में जाफराबाद में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन के सिलसिले में गत शनिवार को गिरफ्तार किया गया था। गत रविवार को दोनों को अदालत ने मामले में जमानत दे दी थी।

अदालत द्वारा आदेश पारित करने के कुछ ही समय बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक अर्जी दायर करके उनसे पूछताछ का अनुरोध किया और हिंसा से जुड़े एक अन्य मामले में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।

अपराध शाखा ने आरोपियों की 14 दिन की हिरासत मांगी थी।

अदालत ने दोनों को यह कहते हुए दो दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया था कि जांच प्रारंभिक चरण में है।

जिस मामले में उन्हें शनिवार को गिरफ्तार किया गया था वह भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 186, 188, 283, 109, 341, 353 के तहत दर्ज किया गया था।

जिस मामले में उन्हें रविवार को गिरफ्तार किया गया वह भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 149, 353, 283, 323, 332, 307, 302, 427, 120-बी, 188 के साथ ही हथियार कानून और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान रोकथाम कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)