
नयी दिल्ली, नौ फरवरी दिल्ली की आठवीं विधानसभा में पहले की तुलना में कम महिलाएं चुनी गई हैं लेकिन स्नातक डिग्रीधारी विधायकों की संख्या में इस बार बढ़ोतरी हुई है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ की रिपोर्ट में पाया गया कि विधानसभा में पांच महिलाएं चुनी गई हैं जिनकी सदन में सात प्रतिशत हिस्सेदारी है। इनमें से चार महिला विधायक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हैं जबकि आतिशी सदन में ‘आप’ (आम आदमी पार्टी) की एकमात्र महिला सदस्य चुनी गई हैं। विधानसभा चुनाव के परिणाम शनिवार को घोषित किए गए।
इससे पहले, 2020 में आठ महिला विधायक चुनी गई थीं।
दिल्ली में 26 साल से अधिक समय बाद भाजपा सत्ता में आई है और उसने 70 विधानसभा सीट में से 48 पर जीत हासिल की है। ‘आप’ ने पांच फरवरी को हुए चुनावों में 22 सीट जीतीं और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली।
स्नातक डिग्री वाले विधायकों का प्रतिशत सातवीं विधानसभा में 34 प्रतिशत से बढ़कर आठवीं विधानसभा में 38 प्रतिशत हो गया है। स्नातकोत्तर डिग्री और उससे उच्च डिग्री वाले विधायकों की संख्या पिछली बार की तरह 26 प्रतिशत ही बनी हुई है।
नव-निर्वाचित विधायकों में से लगभग 61 प्रतिशत ने राजनीति या सामाजिक कार्य को अपना पेशा बताया, जबकि पिछली विधानसभा में यह आंकड़ा 67 प्रतिशत था।
जिन विधायकों ने अपना पेशा व्यवसाय बताया है, उनकी संख्या में सातवीं विधानसभा की तुलना में बढ़ोतरी हुई है। उनकी संख्या सातवीं विधानसभा में 29 प्रतिशत थी और यह आठवीं विधानसभा में बढ़कर 49 प्रतिशत हो गई।
रिपोर्ट में पाया गया कि सदस्यों की औसत उम्र 52 वर्ष है।
रिपोर्ट के अनुसार, नवनिर्वाचित विधायकों में से 13 प्रतिशत की उम्र 25 वर्ष से 40 वर्ष के बीच है, जबकि पिछली विधानसभा में यह 23 प्रतिशत थी।
इसके अलावा, 41 वर्ष से 55 वर्ष की उम्र के विधायकों की संख्या 49 प्रतिशत ही बनी रही जबकि 34 प्रतिशत विधायक 56 से 70 वर्ष की उम्र के हैं तथा चार प्रतिशत विधायक 70 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। पिछली विधानसभा में 28 प्रतिशत सदस्य 56 वर्ष या उससे अधिक उम्र के थे।
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