Delhi: 2025 तक का यमुना की सफाई का लक्ष्य हुआ चुनौतीपूर्ण

शहर में जलमल को साफ करने की दिसंबर 2023 की समयसीमा खत्म होने के बाद दिल्ली सरकार अब इस साल मार्च तक लक्ष्य हासिल करने का प्रयास कर रही है। यह बात दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कही गई है।

नयी दिल्ली, 20 जनवरी : शहर में जलमल को साफ करने की दिसंबर 2023 की समयसीमा खत्म होने के बाद दिल्ली सरकार अब इस साल मार्च तक लक्ष्य हासिल करने का प्रयास कर रही है. यह बात दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कही गई है. देरी का मतलब है कि फरवरी 2025 तक यमुना को स्नान मानकों के अनुरूप साफ करना सरकार के लिए उम्मीद से अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है, जो कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार का एक प्रमुख वादा था.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा यमुना के कायाकल्प पर गठित उच्चस्तरीय समिति के समक्ष 10 जनवरी को प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में जनवरी 2023 से जलमल शोधन क्षमता में प्रति दिन 3.5 कोरड़ गैलन की वृद्धि हुई है. शहर में प्रतिदिन 79.2 करोड़ गैलन (एमजीडी) जलमल उत्पन्न होता है, जिसमें राजधानी में स्थापित 37 जलमल शोधन संयंत्रों द्वारा प्रतिदिन 667 एमजीडी को तकनीकी रूप से शोधित किया जा सकता है.

वर्तमान में, ये संयंत्र अपनी स्थापित क्षमता का केवल 71 प्रतिशत ही उपयोग कर पाते हैं और 79.2 करोड़ गैलन जलमल से केवल 56.5 करोड़ गैलन जलमल का शोधन कर पाते हैं, और बाकी जलमल बिना शोधन के ही यमुना नदी में प्रवाहित हो जाता है. दिल्ली सरकार ने पहले दिसंबर तक राजधानी में निकलने वाले 100 प्रतिशत जलमल को निर्धारित मानकों के अनुरूप शोधित करने का लक्ष्य रखा था.

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