नयी दिल्ली, 11 फरवरी दिल्ली के स्कूल सोमवार से निचली कक्षा के विद्यार्थियों का स्वागत करने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, अब भी बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर आशंकित हैं।
कोविड-19 महामारी के चलते लंबे समय से स्कूल बंद रहे और सात फरवरी को नौवीं से 12वीं कक्षा के बच्चों के लिए स्कूलों को दोबारा खोला गया जबकि नर्सरी से आठवीं की कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए 14 फरवरी से स्कूलों को खोला जा रहा है।
रोहिणी स्थित श्रीराम वंडर इयर्स स्कूल की प्रमुख शुभी सोनी ने कहा, ‘‘ हम चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोल रहे हैं। एसएमएस और ईमेल के जरिये अभिभावकों को जानकारी दी जा रही है। मौसम को ध्यान में रखकर हम पढ़ाई कक्षाओं से बाहर और हवादार स्थान पर कराने की योजना बना रहे हैं। बाहर के उपकरण और प्रकृति का इस्तेमाल कर बच्चों को पढ़ाने और पाठ्यक्रम पर काम कर रहे हैं, कक्षा के बाहर की गतिविधियों जैसे खेलों और मैदान में खेले जाने वाले खेलों को बढ़ावा दे रहे हैं।’’
पूर्वी दिल्ली के एक स्कूल में प्राथमिक इकाई की अध्यक्ष अमिता शर्मा ने कहा, ‘‘ पहले महीने, हम प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को सहज बनाने की योजना बना रहे हैं क्योंकि इनमें से कुछ छात्र पहली बार स्कूल में दाखिल होंगे। हम विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग गतिविधियों की योजना बना रहे हैं।’’
उल्लेखनीय है कि स्कूलों को थोड़े समय के लिए खोला गया था लेकिन ओमीक्रोन स्वरूप की वजह से आई तीसरी लहर के मद्देनजर 28 दिसंबर को स्कूलों को दोबारा से बंद कर दिया गया।
केंद्र सरकार ने बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए अभिभावकों की अनिवार्य सहमति लेने के नियम को हटा दिया है और यह राज्यों पर छोड़ दिया है। लेकिन दिल्ली सरकार ने इस नियम को जारी रखने का फैसला किया है। इसके साथ ही स्कूलों द्वारा अधिकतम 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को बुलाने के नियम को भी हटा दिया है और यह उनपर छोड़ दिया है कि वे अपनी अवंसरचना के आधार पर संख्या तय करें।
एक शीर्ष निजी स्कूल के प्रधानाचार्य ने पहचान गुप्त रखते हुए कहा, ‘‘अभिभावक, खासतौर पर जिनके बच्चे छोटी कक्षाओं में हैं,वे अब भी अशंकित हैं। हमने सहमति फॉर्म भेजा है लेकिन इसपर प्रतिक्रिया बहुत अच्छी नहीं है। हमने अब अभिभावकों की चिंता को दूर करने के लिए परामर्श सत्र आयोजित करने की योजना बनाई है।’’
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