नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उत्तरी पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में जेएनयू के छात्र शर्जील इमाम को बृहस्पतिवार को एक अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शर्जील इमाम को आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
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दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने इमाम को संशोधित नागरिकता कानून के विरोध के दौरान हुए दंगों के सिलसिले में 25 अगस्त को गिरफ्तार किया था. इमाम के वकील ने कहा कि आरोपी को एक अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. इससे पहले उन्होंने गलती से बताया था कि इमाम को 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया है.
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने मामले में जांच की प्रकृति को देखते हुए इमाम को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा, "जांच की प्रकृति और मामले के रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए भी आवेदन को स्वीकार किया जाता है.’’ पुलिस ने इमाम को 30 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध किया था.
इससे पहले अदालत ने इमाम को तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया था. इस मामले में पिंजरा तोड़ सदस्य और जेएनयू छात्रों देवांगना कालिता और नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों आसिफ इकबाल तन्हा और गुलफिशा खातून, पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां, जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी सदस्यों सफूरा जरगर, मीरान हैदर, निलंबित आप पार्षद ताहिर हुसैन, पूर्व छात्र नेता उमर खालिद आदि के खिलाफ भी आतंकवाद विरोधी कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं.
उमर खालिद को अभी तक मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया है. पुलिस ने प्राथमिकी में दावा किया था कि उमर और उनके सहयोगियों ने लोगों को क्षेत्र में दंगे शुरू करने के लिए उकसाया था और यह "पूर्व-निर्धारित साजिश" थी. इमाम को पिछले साल दिसंबर में जामिया मिलिया इस्लामिया के पास संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक विरोध से संबंधित मामले में 28 जनवरी को भी गिरफ्तार किया गया था.
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