नयी दिल्ली, 21 सितंबर दिल्ली की एक अदालत ने यहां पिछले साल सांप्रदायिक हिंसा के दौरान हुई हत्या के तीन अलग-अलग मामलों में छह आरोपियों के खिलाफ मंगलवार को आरोप तय करते हुए कहा कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री रिकार्ड में है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने एक साझा आदेश के जरिये आरोप तय किए और सभी आरोपी व्यक्तियों को समझाया, जिस पर उन्होंने दोषी नहीं होने का दावा किया और मुकदमे का सामना करने की बात कही।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप तय करने के लिए रिकार्ड में पर्याप्त सामग्री है।’’
न्यायाधीश ने कहा कि भले ही घटना का कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है, एक गवाह ने न केवल घटनाओं का एक स्पष्ट विवरण दिया बल्कि सभी आरोपियों की पहचान भी की, जिसमें मोहम्मद सलमान, परवेज, अशरफ अली, सोनू सैफी, जावेद अली और आरिफ शामिल हैं।
अदालत ने कहा कि आरोपियों के कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) के अनुसार वे अपराध स्थल के आसपास लगातार घूम रहे थे, लेकिन उनके वकीलों ने इस संबंध में कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया है। पुलिस ने कहा कि आरोपी निस्संदेह उस दंगाई भीड़ का हिस्सा थे, जिसने तीन निर्दोष लोगों की नृशंस हत्याएं की थीं, क्योंकि वे एक दूसरे समुदाय के थे।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, वीर भान को तब सिर में गोली लगी जब वह अपने बेटे के साथ बाइक पर जा रहा था, दिनेश को माथे में गोली लगी और आलोक तिवारी के सिर पर तेज धार वस्तु से हमला किया गया था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 153-ए के तहत आरोप लगाए गए हैं।
आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 505, 302, 120-बी, 34 और हथियार कानून के तहत भी आरोप तय किए गए हैं।
फरवरी 2020 में संशोधित नागरिकता अधिनियम के समर्थकों और उसके खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के बीच हिंसा के बाद उत्तर पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं थीं । इसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
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