नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े चार अलग-अलग मामलों में एक व्यक्ति को जमानत दे दी है। अदालत ने कहा कि दंगे में उसकी संलिप्तता दर्शाने के लिए और एक समुदाय के खिलाफ नारे लगाने के सिलसिले में कोई स्वतंत्र गवाह, सीसीटीवी फुटेज या वीडियो रिकार्डिंग नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने दंगे के दौरान भजनपुरा में कथित रूप से आगजनी, लूटपाट और दुकानों में तोड़-फोड़ करने के मामलों में 20,000-20,000 रूपये के जमानती बांड व मुचलके भरने पर आरोपी नीरज को राहत दी।
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अदालत ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा कि बीट कांस्टेबलों द्वारा नीरज की आरोपी के रूप में शिनाख्त संदिग्ध है क्योंकि ऐसा काफी समय गुजरने के बाद किया गया।
अदालत ने कहा कि नीरज को महज इस आधार पर इन मामलों में सलाखों के पीछे नहीं रहने दिया जा सकता है कि वह इलाके में बदनाम है।
न्यायाधीश ने कहा , ‘‘ यह दर्शाने के लिए स्वतंत्र गवाह या वीडियो रिकार्डिंग नहीं है कि मौके पर आवेदक मौजूद था या वह दंगे में शामिल था एवं अन्य समुदाय के खिलाफ नारे लगा रहा था।’’
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों एवं विरोधियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था जिसमें कम से कम 53 लोगों की जान चली गयी थी और करीब 200 घायल हुए थे।
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