नयी दिल्ली, 13 मई दिल्ली पुलिस ने कोरोना वायरस के प्रसार पर रोक के उद्देश्य से जारी आदेशों का कथित उल्लंघन करके एक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तबलीगी जमात नेता मौलाना साद के खिलाफ मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने के लिये दायर याचिका का बुधवार को उच्च न्यायालय में विरोध किया।
याचिका पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवायी कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह जांच को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा से एनआईए को हस्तांतरित करने के लिए अपनी अर्जी के समर्थन में फैसले पेश करें।
मुंबई के अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय की इस अर्जी में एनआईए को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि वह मामले की जांच समयबद्ध तरीके से करे और उच्च न्यायालय द्वारा जांच की निगरानी की जाए। इसमें आरोप लगाया गया है कि दिल्ली पुलिस काफी समय बीत जाने के बाद भी नेता को गिरफ्तार करने में असफल रही है।
दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता (फौजदारी) राहुल मेहरा और अधिवक्ता चैतन्य गोसाईं ने अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया कि दिल्ली पुलिस निष्पक्ष तरीके से जांच कर रही है और दलील दी कि याचिकाकर्ता का अर्जी दायर करने का कोई अधिकार नहीं है।
अदालत ने इस मामले में अब 28 मई को आगे सुनवाई करेगी।
उपाध्याय की ओर से पेश अधिवक्ता सुभाष झा और यश चतुर्वेदी ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा काफी समय बीत जाने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उनकी तस्वीर प्रकाशित होने के बावजूद साद का पता लगाने या पकड़ने या गिरफ्तार करने में विफल रही है।
अर्जी में दावा किया गया है, “मौलाना साद के लिए इतने लंबे समय के लिए खुद को छिपाना और वह भी देश की राजधानी में, वस्तुत: असंभव है। दिल्ली पुलिस का प्रदर्शन शुरू से ही खराब रहा है। दिल्ली पुलिस की विफलता इस तथ्य से स्पष्ट है कि लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसी स्थिति होने के बावजूद मौलाना साद भारत की राजधानी में तबीलीगी जमात से जुड़े हजारों लोगों को इकट्ठा करने में सफल रहा।’’
अर्जी में यह भी आरोप लगाया गया है कि मीडिया की खबरों और दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा अब तक एकत्रित साक्ष्यों से, यह अब स्वतः सिद्ध है कि मौलाना साद और उनके लोगों ने देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस फैलाने की साजिश की, जिसका परोक्ष मकसद यह था कि पूरे देश में बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हों और इस तरह से भारत सरकार को इस जानलेवा बीमारी को रोकने में असफल किया जाए।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कोरोना वायरस के प्रसार पर रोक के लिए बड़ी सभा आयोजित करने के आदेश का उल्लंघन करते हुए तबलीगी जमात सदस्यों का एक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए निज़ामुद्दीन पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी की एक शिकायत पर 31 मार्च को मौलवी सहित सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
प्रवर्तन निदेशालय ने भी साद, जमात एवं अन्य से जुड़े ट्रस्टों के खिलाफ धनशोधन का एक मामला दायर किया है।
याचिका में आरोप लगाया गया कि साद और उसके सहयोगियों / तबलीगी जमात के कृत्य गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत परिभाषित ‘‘आतंकवादी कृत्यों या गतिविधियों’’ के बराबर हैं और दावा किया कि दिल्ली पुलिस काफी समय बीत जाने के बावजूद नेता को गिरफ्तार करने में विफल रही है।
इसमें कहा गया कि तबलीगी जमात के लोग न केवल देश में लॉकडाउन का उल्लंघन करके पूरे देश में यह घातक वायरस फैला रहे हैं बल्कि मरीजों का इलाज कर रहे कोरोना योद्धाओं पर हमले भी कर रहे हैं।
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