देश की खबरें | दिल्ली उच्च न्यायालय ने सांसद रशीद को चार लाख रुपये जमा कराने को कहा

नयी दिल्ली, 28 मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर के सांसद अब्दुल रशीद शेख उर्फ ​​इंजीनियर रशीद को संसद सत्र में शामिल होने के लिए यात्रा व्यय के रूप में जेल प्राधिकारियों के पास चार लाख रुपये जमा कराने के शुक्रवार को निर्देश दिए।

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने 25 मार्च को रशीद को ‘हिरासत में’ वर्तमान में जारी संसद सत्र में चार अप्रैल तक शामिल होने की अनुमति दी थी। न्यायालय ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की इस आशंका को खारिज कर दिया था कि रशीद के फरार हो जाने का खतरा है।

रशीद के अधिवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पहले ही प्राधिकारियों के पास 1.45 लाख रुपये जमा कर दिए हैं और शेष 2.55 लाख रुपये तीन दिनों के भीतर जमा कर देंगे।

पीठ ने कहा कि राशि जमा कराने के बाद उन्हें सत्र में भाग लेने के लिए संसद ले जाया जाएगा।

अदालत ने कहा कि वह नहीं चाहती कि रशीद को संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति देने के उसके आदेश का उद्देश्य विफल हो, इसलिए वह दोनों पक्षों के हितों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रही है।

अदालत ने कहा कि रशीद को कुल 8.74 लाख रुपये की राशि में से कम से कम 50 प्रतिशत राशि जमा करानी होगी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 मई को तय की।

इस बीच, संसद सत्र में भाग लेने के लिए यात्रा व्यय वहन करने की शर्त से छूट के अनुरोध वाली याचिका पर एनआईए को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है।

रशीद ने कहा कि संसद में उपस्थित होने की अनुमति देने वाला 25 मार्च का आदेश 26 मार्च की दोपहर को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया और शाम को उनके अधिवक्ता को जेल प्राधिकारियों से एक ई-मेल मिला कि उन्हें यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं के लिए प्रत्येक दिन लगभग 1.45 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।

याचिका में कहा गया है कि छह दिन की अवधि के लिए यह राशि 8.74 लाख रुपये होती है।

रशीद के वकील ने कहा कि सांसद के पास प्राधिकारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं और इससे संसद सत्र में वह भाग नहीं ले पाएंगे व उन्हें यह राशि लोगों से जुटानी होगी।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराने वाले रशीद 2017 के आतंकवादी वित्त-पोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने 10 मार्च के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उन्हें लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए चार अप्रैल तक ‘‘कस्टडी पैरोल’’ या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराने वाले रशीद 2017 के आतंकवादी वित्त-पोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

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