नयी दिल्ली, 22 जून दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार यहां घरों में पृथक-वास में रह रहे मरीजों को ‘पल्स ऑक्सीमीटर’ देगी। साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली में जांच क्षमता को तीन गुना बढ़ाया गया है।
ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि बीते एक हफ्ते के दौरान अस्पताल में कोरोना वायरस का इलाज कराने वालों की संख्या में सिर्फ एक हजार का इजाफा हुआ है जो इस बात का संकेत है कि कोविड-19 की स्थिति धीरे-धीरे शहर में स्थिर हो रही है।
दिल्ली में 15 जून से 21 जून के बीच कोरोना वायरस संक्रमण के 18,564 मामले सामने आए। इस दौरान 16,790 लोगों इस बीमारी से ठीक भी हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक दिल्ली को कोविड-19 मरीजों के लिये बड़े पैमाने पर बिस्तरों की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि उनमें से अधिकतर ठीक हो गए और राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर मरीजों की संख्या भी कम है।
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उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को दिल्ली में कोविड-19 पर लगाम लगाने के लिये “पर्याप्त समर्थन” मिल रहा है।
केजरीवाल ने कहा, “हम घर पर पृथक-वास में रह रहे कोविड-19 मरीजों को पल्स ऑक्सीमीटर देंगे। प्रत्येक जिले में ऑक्सीजन कंसनट्रेटर होगा। दिल्ली में जल्द ही एक हेल्पलाइन शुरू की जाएगी और हमारी टीम ठीक हो रहे मरीजों के घर ऑक्सीजन पहुंचाएगी।”
उन्होंने कहा कि पूरी तरह ठीक होने के बाद मरीज पल्स ऑक्सीमीटर लौटा सकते हैं।
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में अभी कोविड-19 के 25 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है और इनमें से 12 हजार घर पर पृथक-वास में हैं। उन्होंने कहा कि शहर में रोजाना 18,000 कोरोना वायरस जांच की जा रही है।
कुछ हफ्तों पहले तक राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना करीब 5000 जांच की जा रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की मदद से दिल्ली में एंटीजेन जांच भी शुरू की गई है जिसके नतीजे 30 मिनट में आ जाते हैं।
उन्होंने कहा कि 12 जून को शहर के सभी अस्पतालों में कुल 5,300 बिस्तर भरे हुए थे।
उन्होंने कहा, “अभी 6,200 बिस्तर भरे हुए हैं जिसका मतलब है कि सिर्फ 900 बिस्तर पिछले 10 दिनों में भरे हैं…7,000 बिस्तर अब भी उपलब्ध हैं।”
केजरीवाल ने कहा, “इसका मतलब है कि दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कोरोना वायरस मरीजों की संख्या लगभग उतनी ही है जितने लोग ठीक होकर वापस घर जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले तक बिस्तरों की उपलब्धता को लेकर कुछ अफरा-तफरी थी, लेकिन सरकार ने सरकारी और निजी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के लिये युद्ध स्तर पर काम किया।
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