देश की खबरें | दिल्ली सरकार ने विधायकों के वेतन में 66 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दी

नयी दिल्ली, तीन अगस्त अरविंद केजरीवाल नीत सरकार ने दिल्ली के विधायकों के वेतन में मंगलवार को 66 फीसदी बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी जो केंद्र के प्रस्ताव के अनुरूप है, लेकिन इस पर असंतोष जताया कि वे देश में सबसे कम वेतन पाने वाले विधायक हैं।

दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा कि विधायकों की तनख्वाह में 10 साल बाद बढ़ोतरी की गई है और इसकी मंजूरी मुख्यमंत्री केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में दी गई। बयान के मुताबिक, विधायकों का मासिक वेतन और भत्ते 54000 रुपये से बढ़कर 90,000 रुपये हो जाएगा।

उसके मुताबिक, केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से आग्रह किया है कि दिल्ली के विधायकों की तनख्वाह और भत्तों को अन्य राज्यों के विधायकों के अनुरूप किया जाए।

बयान में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के ‘प्रस्ताव को रोक’ दिया था और तनख्वाह को 30,000 रुपये तक सीमित कर दिया था।

उसमें कहा गया है, “भाजपा और कांग्रेस शासित राज्य (विधायकों को) वर्तमान में डेढ़ से दो गुना अधिक वेतन और भत्तों का भुगतान कर रहे हैं। केंद्र की ओर से लगाई गई रोक ने दिल्ली के विधायकों को देश में सबसे कम वेतन पाने विधायकों में शुमार कर दिया है।”

सरकार ने कहा कि दिल्ली सरकार ने विधायकों के लिए अन्य राज्यों के बराबर 54,000 रुपये का वेतन प्रस्तावित किया था, मगर गृह मंत्रालय ने ऐसा नहीं होने दिया और इसे 30,000 रुपये तक सीमित कर दिया।

उसने कहा, “गृह मंत्रालय ने दिल्ली के विधायकों के वेतन और भत्तों को 90,000 रुपये तक सीमित कर दिया है।” इससे पहले प्रत्येक विधायक को 54,000 रुपये मिल रहे थे जिसमें 12,000 रुपये वेतन और शेष राशि भत्ते के रूप में शामिल थे।

विधायकों का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 18,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये, सचिव भत्ता 10,000 रुपये से 15,000 रुपये, टेलीफोन भत्ता 8,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये और वाहन भत्ता 6000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है। दिल्ली के विधायकों की तनख्वाह में पिछली बार बढ़ोतरी 2011 में हुई थी।

सरकार ने कहा कि उत्तराखंड (1.98 लाख रुपये), हिमाचल प्रदेश (1.9 लाख रुपये), हरियाणा (1.55 लाख रुपये), बिहार (1.3 लाख रुपये), राजस्थान (1.42 लाख रुपये) और तेलंगाना (2.5 लाख रुपये) में विधायकों का अधिक मासिक वेतन है बावजूद इसके दिल्ली में रहने का खर्च अधिक है।

अन्य सरकारें अपने विधायकों को मकान किराया भत्ता, कार्यालय भत्ता और स्टाफ भत्ता समेत कई अन्य भत्ते देती हैं जो दिल्ली सरकार नहीं देती है।

दिल्ली के विधायक भी विधानसभा सत्र या समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए 1,000 रुपये (प्रति वर्ष अधिकतम 40 दिनों तक) के दैनिक भत्ते के हकदार हैं, उन्हें 4,00,000 रुपये तक का वाहन अग्रिम भुगतान मिलता है (जिसे कार्यालय अवधि में चुकाना होता है), मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं, बिजली और पानी की सुविधा के लिए 4000 रुपये प्रति माह, 50,000 रुपये की वार्षिक यात्रा सुविधा और दो डेटा एंट्री ऑपरेटरों को काम पर रखने के लिए 30,000 रुपये प्रति माह भी मिलते हैं।

सरकार के बयान में इन भत्तों में किसी तरह के बदलाव का जिक्र नहीं है।

सरकार ने दावा किया कि दिल्ली के विधायकों के वेतन और भत्तों में वृद्धि का प्रस्ताव पिछले पांच साल से गृह मंत्रालय में लंबित है।

दिल्ली कैबिनेट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार के मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते (संशोधन) विधेयक 2021 और विधायक/अध्यक्ष-उपाध्यक्ष/मुख्य सचेतक/दिल्ली में विधानसभा में विपक्ष के नेता (संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी दी है।

उसने कहा कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव और मसौदा विधेयकों को गृह मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा जिसके बाद दिल्ली विधानसभा में उन्हें पेश किया जाएगा।

दिसंबर 2015 में, आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली विधानसभा में एक विधेयक पारित कराया था, जिसमें विधायकों का वेतन बढ़ाकर 2.10 लाख रुपये प्रति माह किया गया था। हालांकि, यह बिल निष्प्रभावी हो गया क्योंकि इसे विधानसभा में पेश करने से पहले संबंधित अधिकारियों से पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी।

इस बीच, दिल्ली भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने केंद्र पर प्रस्तावित बढ़ोतरी को सीमित करने का आरोप लगाने के लिए आप सरकार की "निंदा" की।

उन्होंने कहा, “पिछले साल, उन्होंने 2.10 लाख रुपये प्रति माह वेतन और भत्तों का प्रस्ताव भेजा था जो कि 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी है और इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है।’

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