नयी दिल्ली, 14 सितंबर दिल्ली आबकारी नीति संबंधी कथित घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में आरोपी हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई ने बृहस्पतिवार को मीडिया में आयी इन खबरों का खंडन किया कि वह इस मामले में सरकारी गवाह बन गए हैं। पिल्लई ने इन खबरों को "झूठा" और "पूरी तरह से निराधार" करार दिया।
पिल्लई के वकील ने कहा कि वह अपने मुवक्किल की ओर से संबंधित मीडिया घरानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि खबरें "फर्जी हैं और इसका उद्देश्य मामले को प्रभावित करना है।’’
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने आरोपपत्र में दावा किया है कि पिल्लई तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और भारत राष्ट्र समिति की विधान परिषद सदस्य के. कविता के करीबी सहयोगी थे।
ईडी ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के संबंध में कविता से कई बार पूछताछ की है। कविता को शुक्रवार को फिर से धनशोधन रोधी एजेंसी के दिल्ली कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है।
पिल्लई के वकील ने कहा कि उनके सरकारी गवाह बनने के दावे की सत्यता का पता लगाने के लिए न तो उनके मुवक्किल और न ही उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया गया।
वकील ने कहा, ‘‘मीडिया में आई खबरों, जिनमें कहा गया है कि अरुण पिल्लई सरकारी गवाह बन गए हैं और उन्होंने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मामले में अपने बयान दर्ज कराये हैं, पूरी तरह से निराधार, स्पष्ट रूप से गलत हैं और इनका कोई आधार नहीं है। यह चौंकाने वाला है कि कुछ मीडिया घरानों ने सच्चाई की पुष्टि किए बिना ऐसी झूठी जानकारी प्रकाशित करने का विकल्प चुना।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के अनुसार, दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया था।
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