देश की खबरें | दिल्ली विधानसभा चुनाव: भाजपा को 25 साल का वनवास खत्म होने की उम्मीद

नयी दिल्ली, सात जनवरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दिल्ली की सत्ता में गत 25 साल से जारी अपने वनवास को समाप्त करने का हरसंभव प्रयास कर रही है। इस कोशिश को मूर्त रूप देने के लिए उसने ‘परिवर्तन’ का नारा दिया है और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले सप्ताह रोहिणी में आयोजित ‘परिवर्तन रैली’ में पार्टी के इरादे स्पष्ट कर दिए थे और आह्वान किया था, ‘‘आप-दा (आप) नहीं सहेंगे, बदल कर रहेंगे’’।

इस पूरे अभियान में भाजपा की ताकत,उसकी कमजोरी, अवसर और संभावित खतरे का विश्लेषण किया गया है।

ताकत

* विधानसभा चुनाव के लिए सभी 70 निर्वाचन क्षेत्रों में बूथ स्तर तक मजबूत संगठनात्मक उपस्थिति। पार्टी ने चुनाव से महीनों पहले झुग्गी-झोपड़ियों और अनधिकृत कॉलोनियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लक्षित समूहों और समुदायों के साथ हजारों छोटी-छोटी बैठकें कीं।

* मुख्यमंत्री निवास के जीर्णोद्धार पर कथित तौर पर भारी भरकम खर्च को रेखांकित करने के लिए ‘शीश महल’ और शराब घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के मुद्दों को उजागर करके जनता की धारणा में बदलाव के लिए एक सतत अभियान चलाया। इसके कारण अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में पद छोड़ना पड़ा। पानी की कमी, दूषित जलापूर्ति, वायु प्रदूषण, बारिश के दौरान जलभराव, क्षतिग्रस्त सड़कें, खराब सार्वजनिक बस परिवहन जैसे लोगों से जुड़े मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठा रही है।

* दिल्ली की सत्ता पर 2015 से काबिज आप के खिलाफ आम सत्ता विरोधी लहर है, खास तौर पर उसके विधायकों के खिलाफ। भाजपा ने आप की इस कमज़ोरी का फायदा उठाने की कोशिश की और इसके तहत उसने विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में उसके विधायकों की विफलताओं को उजागर करने के लिए ‘आरोप पत्र’ जारी किए।

* पिछले साल मई में हुए आम चुनाव में भाजपा ने लगातार तीसरी बार दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। सात लोकसभा सीट में विभाजित 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 52 में भाजपा उम्मीदवारों को आप के उम्मीदवारों से अधिक मत मिले।

कमजोरी

*भाजपा आप द्वारा मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर सामने किये गए केजरीवाल को चुनौती देने के लिए किसी स्थानीय नेता को पेश करने में विफल रही है। पार्टी ने अब तक केवल 29 उम्मीदवारों की घोषणा की है और 41 अन्य की घोषणा अभी बाकी है, हालांकि चुनाव पांच फरवरी को होंगे।

*भाजपा ने अब तक महिलाओं और पुजारियों को मानदेय देने जैसे आप के वादों का मुकाबला करने के लिए कोई घोषणा नहीं की है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने आश्वासन दिया है कि मौजूदा सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं जारी रहेंगी।

*भाजपा का दिल्ली विधानसभा की 12 आरक्षित और आठ अल्पसंख्यक बहुल सीट पर जीत का रिकॉर्ड खराब है। पार्टी 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में इनमें से एक भी सीट जीतने में विफल रही थी।

अवसर

* भाजपा नेताओं का मानना ​​है कि पार्टी दिल्ली की सत्ता से गत 25 वर्षों से जारी वनवास को समाप्त करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है, क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोपों और आप शासन में लोगों के समक्ष आई समस्याओं के कारण केजरीवाल की छवि को बट्टा लगा है।

*भाजपा दिल्ली में आप को हराने की स्थिति में प्रतीत होती है। पार्टी का मानना है कि उसकी जीत से आप का एक दशक से अधिक पुराना राजनीतिक प्रभुत्व समाप्त हो जाएगा और केजरीवाल कमजोर पड़ जाएंगे जो राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं।

* भाजपा को लगता है कि अगर वह सत्ता में आती है तो केंद्र में अपनी सरकार के समर्थन से दिल्ली में अपनी राजनीतिक जड़ें मजबूत कर सकती है।

खतरा

* भाजपा के लिए आप के खिलाफ मुकाबला कठिन है, क्योंकि माना जाता है कि झुग्गी-झोपड़ियों, अनाधिकृत कॉलोनियों, अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों, निम्न मध्यम वर्गीय इलाकों में आप का मजबूत आधार है।

*भाजपा ने अब तक आठ ‘बाहरी’ लोगों को मैदान में उतारा है जो आप और कांग्रेस से पार्टी में आए हैं । ऐसे कुछ और लोगों को टिकट मिल सकता है क्योंकि 41 उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है। कुछ पार्टी नेताओं का दावा है कि ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानीय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष है।

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