नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर दिल्ली की वायु गुणवत्ता में और गिरावट आई है और शुक्रवार को यह ऊपरी सीमा में ‘खराब’ श्रेणी दर्ज की गई। राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषक पीएम2.5 में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी पराली जलाने की रही जो इस मौसम में अब तक सबसे अधिक है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसी ‘सफर’ के मुताबिक बृहस्पतिवार को दिल्ली के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में पराली जलाने की 1,112 घटनाएं दर्ज की गई।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी का गत 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 283 रहा। जबकि राष्ट्रीय राजधानी से सटे फरीदाबाद में एक्यूआई 289, गाजियाबाद में 321, ग्रेटर नोएडा में 284, गुरुग्राम में 262 और नोएडा में 282 एक्यूआई दर्ज किया गया।
गौरतलब है कि शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच को ‘गंभीर’ माना जाता है।
श्रेणीवार प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी) की उप समिति ने बृहस्पतिवार को दिल्ली और एनसीआर राज्य के अधिकारियों को डीजल से चलने वाले जेनरेटरों को बंद करने और बस व मेट्रो ट्रेन सेवा के फेरों में वृद्धि करने का निर्देश दिया।
भारत के मौसम विभाग (आईएमडी) के डॉ.वीके सोनी ने समिति को सूचित किया कि उत्तर पश्चिमी हवाओं का रुख एक नवंबर की सुबह तक ऐसा ही रहेगा और इसकी वजह से वायु की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में जा सकती है।
मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली का न्यूनतम तापमान 14 से 15 डिग्री तक गिर सकता है जिससे हवा में नमी बढ़ेगी और यह स्थिति प्रदूषकों के फैलने के अनुकूल नहीं होती।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के आधार पर उप समिति ने एनसीआर के राज्यों को हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी होने के दौरान उठाए जाने वाले कदमों के अलावा ‘बहुत खराब’ श्रेणी के लिए निर्धारित कदमों को भी उठाने का निर्देश दिया है।
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