नयी दिल्ली, 2 जून: उच्चतम न्यायालय पत्रकार विनोद दुआ (Vinod Dua) के खिलाफ उनके एक यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के एक स्थानीय नेता द्वारा राजद्रोह और अन्य अपराधों के आरोप में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी निरस्त करने के अनुरोध वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को फैसला सुनायेगा. न्यायमूर्ति यू यू ललित (U U lalit) और न्यायमूर्ति विनीत सरन (Justice Vineet Saran) की पीठ ने पिछले साल छह अक्टूबर को दुआ, हिमाचल प्रदेश सरकार और मामले में शिकायतकर्ता की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को इस मामले में विनोद दुआ को किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से प्रदत्त संरक्षण की अवधि अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दी थी. यह भी पढ़ें: न्यायालय ने विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह के मामले में दर्ज प्राथमिकी रद्द की
न्यायालय ने कहा था कि दुआ को इस मामले के संबंध में हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा पूछे जा रहे किसी भी पूरक सवाल का जवाब देने की जरूरत नहीं है. दुआ के खिलाफ उनके यूट्यूब कार्यक्रम के संबंध में छह मई को शिमला के कुमारसेन थाने में भाजपा नेता श्याम ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. श्याम ने आरोप लगाया था कि दुआ ने अपने यूट्यूब शो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वोट पाने की खातिर ‘‘मौत और आतंकी हमलों’’ का इस्तेमाल करने के आरोप लगाये थे.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पिछले वर्ष 14 जून को रविवार के दिन अप्रत्याशित सुनवाई करते हुये विनोद दुआ को अगले आदेश तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान कर दिया था लेकिन उसने उनके खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. दुआ ने न्यायालय से उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार है.
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