देश की खबरें | महाराष्ट्र में मृतकों की संख्या 164 हुई, अजित पवार ने बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया

मुंबई/पुणे, 26 जुलाई महाराष्ट्र के रायगढ में 11 शव, वर्धा और अकोला में दो-दो शव मिलने के साथ वर्षा जनित घटनाओं में मृतकों की संख्या 164 हो गयी है। उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने सांगली जिले में बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया और कहा कि एक-दो दिन में आर्थिक राहत देने पर फैसला किया जाएगा।

सरकार ने मुंबई में एक बयान में कहा कि 100 लोग अब भी लापता हैं और अब तक 2,29,074 लोगों को बाढ़ और बारिश प्रभावित क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि तटीय कोंकण क्षेत्र में स्थित सबसे ज्यादा प्रभावित जिले रायगढ़ के प्रशासन ने सोमवार को तलिये गांव में 31 लापता लोगों के लिए तलाशी अभियान बंद कर दिया। पिछले हफ्ते भारी बारिश के बाद भीषण भूस्खलन हुआ था।

सरकार के मुताबिक, रायगढ़ जिले में 71, सतारा में 41, रत्नागिरी में 21, ठाणे में 12, कोल्हापुर में सात, मुंबई में चार और सिंधुदुर्ग, पुणे, वर्धा और अकोला में दो-दो लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा बारिश से संबंधित घटनाओं में 56 लोग घायल हुए हैं। रायगढ़ में 53 लोग, सतारा में 27, रत्नागिरी में 14, ठाणे में चार, सिंधुदुर्ग और कोल्हापुर में एक-एक व्यक्ति लापता है। विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि अब तक रायगढ़ में 34, मुंबई और रत्नागिरी में सात-सात, ठाणे में छह और सिंधुदुर्ग में दो लोग घायल हुए हैं।

रायगढ़ की जिलाधिकारी निधि चौधरी ने कहा कि तलिये गांव में अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है और पांच घायल हुए हैं, जबकि 31 लोग अभी भी लापता हैं और उन्हें उचित प्रक्रिया के बाद मृत घोषित कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य और पड़ोसी ठाणे जिले के आपदा मोचन बलों की राय लेने के बाद तलाश अभियान बंद करने का निर्णय किया गया। रायगढ़ के महाड तालुका में स्थित गांव में पिछले बृहस्पतिवार को भारी बारिश के बाद भीषण भूस्खलन में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए।

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सांगली जिले के बाढ़ प्रभावित कई गांवों का दौरा करने और कुछ इलाकों में नाव से बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचने के बाद कहा कि महाराष्ट्र में बाढ़ से प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने के संबंध में अगले दो दिन में फैसला किया जाएगा।

पवार ने बाढ़ प्रभावित लोगों से बातचीत की और उन्हें पुनर्वास और राज्य सरकार की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। राज्य के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल, राहत एवं पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार और राज्य मंत्री विश्वजीत कदम बाढ़ प्रभावित जिले के भीलवाड़ी और अन्य इलाकों के दौरे में पवार के साथ थे। पवार के पास वित्त विभाग का भी प्रभार है। पवार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘महा विकास आघाड़ी के नेतृत्व वाली सरकार बाढ़ से प्रभावित लोगों की हर संभव मदद करेगी। मैंने, कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल, विजय वडेट्टीवार और राज्य मंत्री विश्वजीत कदम ने सांगली जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। अगले दो दिनों में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में (राहत) के बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा।’’

पवार ने बाद में पत्रकारों को बताया कि पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र में ‘‘अप्रत्याशित बारिश’’ के कारण बाढ़ आई है। उन्होंने कहा, ‘‘जब 22 जुलाई के बाद भारी बारिश शुरू हुई तो कृष्णा नदी के बेसिन में बांधों में पर्याप्त भंडारण क्षमता थी, लेकिन बांधों के निकटवर्ती क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण निचले इलाकों में बाढ़ आ गई।’’ उन्होंने कहा कि कोयना बांध में इससे पहले कभी इतना अधिक जलभंडारण नहीं हुआ था।

उन्होंने बताया, ‘‘कोयना बांध में एक दिन में लगभग 16.5 टीएमसी पानी प्राप्त हुआ, जिसकी भंडारण क्षमता 100 टीएमसी है। कोयना के पास नवजा नाम की एक जगह है, जहां 32 इंच बारिश हुई।’’ उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कृष्णा बेसिन के बांधों में सामूहिक जल संग्रहण इस बार 84 प्रतिशत है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 50 प्रतिशत था। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक कृष्णा और भीमा नदियों के बेसिन में बांधों में जल संग्रहण का संबंध है तो वर्तमान सामूहिक जल संग्रहण पिछले वर्ष के 37 प्रतिशत के मुकाबले 71 प्रतिशत है।’’

उन्होंने कहा कि बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन अब तक पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा, ‘‘पानी घटने के बाद ही फसलों और खेतों को हुए नुकसान की असली तस्वीर सामने आएगी। मैंने जिला प्रशासन को नए स्थानों पर नुकसान का आकलन जारी रखने का निर्देश दिया है।’’

भूस्खलन को लेकर पवार ने कहा कि ऐसी घटनाएं उन इलाकों से हुई हैं जहां भूस्खलन संभावित क्षेत्र नहीं थे। एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के बीच बेहतर तालमेल है। उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य में बाढ़ से बचने के लिए बाढ़ प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा। मुझे बाढ़ प्रभावित जिलों में राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) केंद्र स्थापित करने के लिए कुछ सुझाव मिले हैं ताकि जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो एनडीआरएफ, सेना, तटरक्षक और नौसेना जैसी एजेंसियों से मदद की प्रतीक्षा करने के बजाय इन समूहों को कार्य में लगाया जा सके।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिमी महाराष्ट्र में मौजूदा बाढ़ की स्थिति ‘‘मानव जनित’’ संकट है, तो पवार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि बांधों के पास के इलाकों में अप्रत्याशित बारिश इसके लिए जिम्मेदार है। पवार ने कहा, ‘‘जिन इलाकों में भूस्खलन और बाढ़ आई है वहां हरियाली कम नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि पेड़ काटने की गतिविधियां ज्यादा होने के कारण भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है। हरित क्षेत्र कम नहीं हुए हैं। सतारा में भूस्खलन के कारण पेड़ उखड़कर कीचड़ और गाद के साथ नीचे गिरे थे।’’

पवार ने दोहराया कि राज्य सरकार उन लोगों के पुनर्वास के लिए तैयार है जो अक्सर पहाड़ी इलाकों में बाढ़ से प्रभावित होते हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को ऐसे घरों का सर्वेक्षण करने और पुनर्वास के लिए जमीन की उपलब्धता की जांच करने का निर्देश दिया। पवार ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकारें अलमट्टी बांध से पानी छोड़ने पर बेहतर समन्वय कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि अब बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में ‘‘वीवीआईपी दौरे’’ शुरू होंगे और संबंधित जिला प्रशासनों को इस तरह के दौरों के समन्वय के लिए ‘‘नोडल अधिकारी’’ नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है ताकि बाढ़ कम होने की स्थिति में जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक (एसपी), जिला पंचायतों के सीईओ प्रबंधन के मुख्य कार्य पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

इस बीच, मध्य रेलवे (सीआर) के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारी बारिश के कारण मुंबई के पास कुछ मार्गों पर ट्रेन सेवा स्थगित होने के चार दिन बाद, पड़ोसी ठाणे, नासिक और पुणे के थल और भोर घाट क्षेत्रों में सभी रेल लाइनों पर परिचालन सोमवार सुबह बहाल कर दिया गया।

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