अभियोजन पक्ष के वकील ने बताया कि इसी गांव के निवासी राम सनेही के पास 36 बीघा जमीन थी उसके दो बेटे सुरेश चन्द्र और राम प्रताप उर्फ टिल्लू थे रामसनेही के मृत्यु बाद वारिशान हक जमीन 18-18 बीघा दोनों भाइयों के नाम हो गई. टिल्लू नै अपनी 18 बीघा जमीन जुए के चक्कर मे पडकर बेच डाली, टिल्लू की नजर बडे भाई की जमीन पर पड़ी जो हाइवे पर होने से करोड़ों रुपये की थी.
उन्होंने बताया कि 26/27 मई 2012 की रात्रि मे घटना को अंजाम देते हुए राम प्रताप उर्फ टिल्लू ने अपने बड़े भाई सुरेश चन्द्र यादव, भाभी विमला देबी, भतीजा अवनीश, भतीजी रश्मी, सुरभि, श्वेता, की सोते समय कुल्हाड़ी से काट कर नृशंस हत्या कर दी थी.
उन्होंने बताया कि सुरेश के परिवार मे कोई नहीं बचा इस लिए मृतक के साले होम सिंह द्वारा इकदिल थाने मे टिल्लू सहित अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का अभियोग 27 मई 2012 को दर्ज कराया गया था थाना पुलिस ने मामले की विवेचना पूरी करके राम प्रताप उर्फ टिल्लू उसके साथी वरुणराज के विरुद्ध हत्या का केस 18 मार्च 2013 को अदालत में सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया.
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मुकदमे की पैरवी कर रहे सरकारी वकील डी के तिवारी ने बताया कि अपर सत्र न्यायालय मे मुकदमे सुनवाई के दौरान सरकारी, गैर सरकारी 11 गवाहों तथा घटनास्थल से मिले साक्ष्य सुबूत और पक्ष विपक्ष की दलीलों को सुनने के उपरांत अपर सत्र न्यायाधीश ने गुरूवार को राम प्रताप उर्फ टिल्लू को दोषी करार ठहराया.
न्यायाधीश ने गुरूवार को सजा सुनाते हुए राम प्रताप को मृत्यु दण्ड तथा 5 लाख रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई एवं दूसरे अभियुक्त वरुण राज को गवाह सबूतों के अभाव मे बरी कर दिया.