
नयी दिल्ली, 10 जून दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने राष्ट्रीय राजधानी में स्थित आवासीय परियोजनाओं के पंजीकरण संबंधी रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के निर्देश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने डीडीए की याचिका पर दिल्ली रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) और केंद्र सरकार को 28 मई को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा।
इस मामले पर सात जुलाई को अगली सुनवाई की जाएगी।
डीडीए का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश सिंह और अधिवक्ता वृंदा कपूर देव ने रेरा के 2021 के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें उसे रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 की धारा तीन के तहत परियोजनाओं को पंजीकृत करने का निर्देश दिया गया था।
इस प्रावधान में ‘‘रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के साथ किसी रियल एस्टेट परियोजना का पूर्व पंजीकरण’’ की बात कही गई है।
रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण ने सितंबर, 2024 में रेरा के इस फैसले को बरकरार रखा था।
डीडीए की याचिका में दलील दी गई है कि प्राधिकरण द्वारा दायित्वों का वैधानिक इस्तेमाल रियल एस्टेट अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आता है, क्योंकि यह दिल्ली विकास प्राधिकरण (आवास संपदाओं का प्रबंधन एवं निपटान) विनियम, 1968 एवं नजूल नियम, 1981 द्वारा शासित है।
याचिका के मुताबिक, डीडीए रेरा अधिनियम के तहत आवास परियोजनाओं का ‘‘प्रवर्तक’’ नहीं है और इसे रेरा अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी स्थिति में रेरा के निर्णय पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।
डीडीए ने तर्क दिया कि दिल्ली विकास अधिनियम की प्रस्तावना में प्राधिकरण को निजी डेवलपर के वाणिज्यिक एवं लाभ-प्रेरित उद्देश्यों से मौलिक रूप से अलग रखा गया है। साथ ही दावा किया कि गुणवत्ता नियंत्रण, शिकायत निवारण तथा जवाबदेही के लिए ‘‘व्यापक आंतरिक तंत्र’’ है और रेरा की अतिरिक्त निगरानी की जरूरत नहीं है।
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