नयी दिल्ली, नौ जुलाई उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 की वजह से देश में लॉकडाउन के दौरान मार्च में बीएस-4 मानक वाले वाहनों को बिक्री पर आश्चर्य व्यक्त करते हुये कहा है कि वह जांच करेगा कि क्या ये बिक्री ‘सही’ हैं या फिर ‘पिछली तारीख’ की हैं।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि यह समझ से परे है कि कोरोना महामारी की वजह से 25 मार्च से लागू लॉकडाउन के दौरान कैसे बीएस-4 मानक वाले वाहनों की बिक्री हुई।
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न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा , न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई के बाद पारित आदेश में यह टिप्पणी की । पीठ ने बुधवार को अपना 27 मार्च का आदेश वापस ले लिया था। इस आदेश के तहत ही न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर के अलावा देश के सभी हिस्सों में लॉकडाउन खत्म होने के बाद 10 दिन के लिये बीएस-4 मानक वाले वाहनों की बिक्री की अनुमति दी थी।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि उसके 27 मार्च के आदेश का लाभ लॉकडाउन के दौरान और फिर 31 मार्च के बाद 10 दिन की अवधि में ज्यादा वाहनों की बिक्री के लिये नहीं लिया जा सकता।
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पीठ ने कहा, ‘‘यह न्यायालय के आदेश की मूल भावना का उल्लंघन होगा। वाहनों को डीलर के पास माना जायेगा मानो इनकी बिक्री नहीं हुयी और यदि इसके लिये कोई धन प्राप्त किया गया हो तो उसे तकाल वाहन खरीदनेवालों को वापस किया जायेगा और 31 मार्च 2020 के बाद बेचे गये बीएस-4 मानक वाले वाहनों का पंजीकरण नहीं होगा।’’
पीठ ने अपने पहले के आदेश का जिक्र करते हुय कहा कि इस साल 31 मार्च के बाद बीएस-4 मानक वाले वाहनों की बिक्री की अनुमति देने का एकमात्र कारण लॉकडाउन था लेकिन उसके समक्ष पेश आंकड़ों से संकेत मिलता है कि इस दौरान बेचे गये वाहनों की संख्या उस अवधि से कहीं ज्यादा है, जब लॉकडाउन नहीं था।
पीठ ने कहा, ‘‘यह समझ से परे है कि लॉकडाउन के दौरान वाहनों की बिक्री कैसे हो सकती है। बताया गया कि हो सकता है कि ऐसा ऑनलाइन बिक्री की वजह से हुआ हो और हलफनामे में यह भी कहा गया है कि मजबूरी में वाहनों की बिक्री हुयी थी।’’
पीठ ने कहा, ‘‘जो भी हो, चूंकि चार्ट के रूप में पेश इन सौदों से उस अवधि से ज्यादा बिक्री का पता चलता है जब लॉकडाउन नहीं था। हमें लॉकडाउन खत्म होने के बाद 10 दिन के लिये वाहनों की बिक्री की अनुमति देने संबंधी आदेश वापस लेने में कोई संकोच नहीं है।’’
इस साल 31 मार्च तक बेचे गये बीएस-4 मानक वाले वाहनों के पंजीकरण के सवाल पर शीर्ष अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से यह पता करने के लिये कहा कि क्या वास्तव में इन वाहनों का विवरण सरकार के ई-वाहन पोर्टल पर डाला गया था।
न्यायालय ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल से कहा कि इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 23 जुलाई से पहले अन्य राज्यों से भी आंकड़ों का सत्यापन किया जाये। न्यायालय ने कहा कि इसके बाद ही वह वाहनों के पंजीकरण के सवाल पर विचार करेगा।
पीठ ने कहा, ‘‘हम यह देखेंगे कि क्या लॉकडाउन के दौरान हुये ये सौदे सही हैं या इन्हें पिछली तारीख में दिखाया गया है।’’
शीर्ष अदालत में दायर ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के हलफनामे के अनुसार उसके सदस्यों ने 12 से 31 मार्च के दौरान बीएस-4 मानक वाले 61 हजार 861 वाहनों की बिक्री की जबकि इस अवधि में गैर सदस्यों ने 72,532 वाहनों की बिक्री की।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि 29, 30 और 31 मार्च को बीएस-4 मानक वाले वाहनों की बिक्री में इजाफा हुआ था।
पीठ ने इस तथ्य का भी जिक्र अपने आदेश में किया कि एसोसिएशन के सदस्यों ने ई-वाहन पोर्टल पर 7,758 वाहनों का विवरण अपलोड नहीं किया था जबकि गैर सदस्यों ने 17,145 वाहनों का विवरण अपलोड नहीं किया था।
न्यायालय ने अक्टूबर, 2018 में कहा था कि एक अप्रैल 2020 से देश में बीएस-4 मानक वाले किसी भी वाहन का पंजीकरण नहीं होगा।
अनूप
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