नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर: यमन में एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में मृत्युदंड की सजा का सामना कर रही केरल की एक महिला को बचाने के लिये उसकी मां की यमन जाने संबंधी याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से जवाब मांगा.
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने केंद्र की ओर से पेश वकील से दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 16 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया.
केन्द्र की ओर से पेश वकील ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ वक्त की मोहलत मांगी. अदालत निमिषा प्रिया की मां की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे यमन में मौत की सजा सुनाई गई है. याचिकाकर्ता ने अपनी बेटी की जान बचाने के लिए राजनयिक संपर्क तथा पीड़ित परिवार के साथ बातचीत की सुविधा के निर्देश अधिकारियों को देने का अनुरोध करते हुए पहले भी उच्च न्यायालय का रुख किया था.
इस याचिका में याचिकाकर्ता प्रेमाकुमारी ने भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा प्रतिबंध होने के बावजूद अधिकारियों को उन्हें यमन की यात्रा की मंजूरी देने के निर्देश देने संबंधी अनुरोध किया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि अपनी बेटी को बचाने का एक एकमात्र तरीका मरने वाले के परिवार से बातचीत करके उन्हें ‘ब्लड मनी’ देने का है और इसके लिए वह यमन की यात्रा करना चाहती है लेकिन यात्रा प्रतिबंध होने के करण वह वहां जाने में असमर्थ है. ‘ब्लड मनी’ एक प्रकार का मुआवजा है जो आरोपी का परिवार मृतक के परिजन को देता है,यदि मृतक का परिवार इसके लिए राजी हो तो.
पिछले वर्ष, ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और केंद्र सरकार को ‘राजनयिक पहुंच के साथ-साथ देश के कानून के अनुसार समयबद्ध तरीके से ‘ब्लड मनी’ का भुगतान करके निमिषा प्रिया की जान बचाने के लिए मृतक के परिवार के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की थी.’’उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश देने से इनकार कर दिया था.
इससे पहले की याचिका में कहा गया था कि प्रिया भारतीय नर्स है और यमन में काम करती थी, उसे 2020 में यमन के एक नागरिक की हत्या का दोषी ठहराया गया था. याचिका में कहा गया था कि प्रिया पर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप था। महदी की जुलाई 2017 में कथित तौर पर दवा की ओवरडोज के कारण मौत हो गई। प्रिया ने अपना पासपोर्ट हासिल करने के लिए उसे नशे का इंजेक्शन दिया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि महदी ने फर्जी दस्तावेज बनाए थे कि उसका प्रिया से विवाह हुआ था और वह प्रिया के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार और अत्याचार करता था.
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