नयी दिल्ली, नौ नवम्बर दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में एक आरोपी की उसके खिलाफ मुकदमा चलाये जाने को दी गई मंजूरी को चुनौती देने संबंधी याचिका पर पुलिस से सोमवार को जवाब मांगा।
आरोपी के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून - गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने राज्य को नोटिस जारी किया और याचिका पर चार सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
मामले में आरोपी जामिया एल्यूमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान ने निचली अदालत द्वारा पारित 17 सितम्बर के एक आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है।
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रहमान ने दावा किया कि सरकार के दस और 11 अगस्त के मंजूरी संबंधी आदेश मनमाने ढंग से दिये गये।
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने हिंसा के सिलसिले में यूएपीए के प्रावधानों के तहत 15 आरोपियों के नाम अपने आरोप पत्र में दिये थे।
गौरतलब है कि गत फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर पूर्वी हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी और लगभग 200 अन्य घायल हो गये थे।
आरोपियों में पिंजरा तोड़ की सदस्य और जेएनयू की छात्राएं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा, गुलफिशा खातून, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन, सामाजिक कार्यकर्ता खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान आदि शामिल हैं।
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