जम्मू, 23 जनवरी जम्मू की एक विशेष अदालत ने वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या संबंधी 1990 के एक मामले के मुख्य गवाह से आमने-सामने जिरह कराने का जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासिन मलिक का अनुरोध स्वीकार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। एक वकील ने यह जानकारी दी।
मलिक आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। मलिक ने अनुरोध किया था कि उसे जम्मू की अदालत में गवाहों से आमने-सामने जिरह करने की अनुमति दी जाए। मलिक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश हुआ।
वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता एवं केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की वकील मोनिका कोहली ने बताया कि मलिक से पूछा गया था कि क्या वह मामले के मुख्य गवाह वी के शर्मा से जिरह करना चाहता है। उन्होंने बताया कि मलिक ने इनकार कर दिया और अपना रुख दोहराया कि वह शर्मा से अदालत में आमने-सामने जिरह करना चाहता है।
कोहली ने संवादाताओं को बताया कि अदालत ने उसका यह अनुरोध स्वीकार नहीं किया।
शर्मा ने 25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर के बाहरी इलाके में चार वायुसेना कर्मियों की हत्या में शामिल आतंकवादियों में से एक के रूप में मलिक की पहचान की है।
कोहली ने अदालत को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलिक के खिलाफ एनआईए (केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण) के लंबित मामलों के कारण 22 दिसंबर, 2022 से एक साल के लिए तिहाड़ जेल से बाहर जाने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।
मलिक को छह अन्य लोगों के साथ मामले में आरोपी बनाया गया है। सीबीआई द्वारा जम्मू में एक विशेष टाडा अदालत के समक्ष आरोप पत्र दाखिल करने के 20 साल बाद 2020 में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)