नयी दिल्ली, 25 नवंबर राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में दो आरोपियों को जमानत देते हुए कहा कि यदि परिस्थितियों में बदलाव होता है तो पिछली याचिकाओं के खारिज होने के बावजूद जमानत याचिका दायर की जा सकती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला, पुलिस टीम पर हमला करने से संबंधित दंगा मामले में आरोपियों मोहम्मद यूनुस और इमरान अंसारी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई थी।
अदालत ने दोनों और 23 अन्य के खिलाफ हत्या, आगजनी और दंगा समेत विभिन्न दंडात्मक प्रावधानों के तहत आरोप तय किए हैं।
अदालत ने शनिवार को पारित अपने आदेश में कहा कि यूनुस की जमानत याचिका पहले 10 बार खारिज हो चुकी है जबकि अंसारी ने सातवीं बार जमानत याचिका दायर की है।
अदालत ने कहा कि यदि परिस्थितियों में बदलाव होता है तो पिछली याचिकाओं के खारिज होने के बावजूद जमानत याचिका दायर की जा सकती है।
अदालत ने आरोपियों द्वारा दी गई इस दलील पर गौर किया कि दो अन्य सह-आरोपियों को चार नवंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दे दी गई थी।
अदालत ने दोनों को 10,000 रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि का जमानत बॉण्ड भरने का निर्देश दिया।
जमानत की अन्य शर्तों में आरोपी व्यक्तियों को गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश न करने, अपना मोबाइल नंबर उपलब्ध कराने, देश न छोड़ने और अपने पते में परिवर्तन होने पर अदालत को सूचित करने के निर्देश शामिल थे।
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