नयी दिल्ली, दो सितंबर दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्व दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में एक व्यक्ति को यह कहते हुए जमानत दी है कि प्रथमदृष्टया उसके खिलाफ सीधा सबूत नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने इमरान को दंगे के दौरान दयालपुर क्षेत्र में कांस्टेबल दीपक को लगी गोली से जुड़े मामले में इमरान को 20 हजार के जमानत बांड और इतनी ही राशि के मुचलके पर राहत दी ।
अदालत ने एक सितंबर को अपने आदेश में कहा कि ऐसा कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है जिसमें आरेापी दंगाइयों के साथ नजर आ रहा हो। न्यायाधीश यादव ने कहा कि पुलिस घटना के समय उसका कॉल डिटेल रिकार्ड स्थान साबित नहीं कर पायी।
अदालत ने यह भी कहा कि आरोप में दीपक की जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि उनके बाये पैरे में गोली लगने से हुए जख्म का उपचार किया गया जबकि प्राथमिकी में उन्होंने कहा था कि उनके दाहिने पैर में गोली लगी थी।
अदालत ने यह भी कहा कि यहां गौर करने वाली बात है कि इस मामले में इमरान को अपराध स्थल से नहीं बल्कि दंगे से जुड़े अन्य मामले में उसके द्वारा दिये गये बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया।
हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि इस आदेश को इस मामले के अंतिम गुण-दोष पर कोई राय नहीं समझा जाए क्योंकि यह संज्ञान से पूर्व के चरण में था।
अभियोजन के अनुसार यह मामला दीपक की शिकायत पर 26 फरवरी को दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने कहा था कि 25 फरवरी को वह कानून व्यवस्था बनाये रखने और दंगाई भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अन्य पुलिसकर्मियों के साथ बृजपुरी पुलिया के पास थे। अचानक दंगाई भीड़ हिंसक हो गयी और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने लगी। इसी बीच भीड़ में आगे से दो लड़कों ने पिस्तौल से गोलियां चलायीं जो उनके बाये पैर में लगी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)