नयी दिल्ली, दो अगस्त उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में केंद्र द्वारा गठित सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के कार्यक्षेत्र का विस्तार किया।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने विवादों से घिरी नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द न करने के अपने 23 जुलाई के आदेश के लिए विस्तृत कारण बताए।
केंद्र द्वारा गठित समिति में राधाकृष्णन के अलावा रणदीप गुलेरिया, बी जे राव, राममूर्ति के., पंकज बंसल, आदित्य मित्तल और गोविंद जायसवाल बतौर सदस्य शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि समिति को केंद्र और एनटीए ने जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसके अलावा वह परीक्षा सुरक्षा और प्रशासन, डेटा सुरक्षा और तकनीकी संवर्धन पर भी विचार करेगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इसकी जिम्मेदारियों में नीति और हितधारक से संबंध, समन्वय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने और एनटीए कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए सिफारिशें भी शामिल होंगी।
परीक्षा सुरक्षा और प्रशासन पर विस्तार से चर्चा करते हुए पीठ ने कहा कि समिति परीक्षा के प्रशासन की प्रणाली का मूल्यांकन करेगी और उसमें सुधार की सिफारिश करेगी, जिसमें प्रश्नपत्र तैयार करने से लेकर अंतिम परिणाम घोषित करने तक हर स्तर पर कठोर जांच और संतुलन सुनिश्चित करना शामिल है।
न्यायालय ने कहा, ‘‘यदि आवश्यक हो तो अभ्यर्थियों की पहचान सत्यापित करने के लिए कठोर प्रक्रियाओं की सिफारिश करें, ताकि फर्जी उम्मीदवारों को रोका जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पंजीकृत और अधिकृत अभ्यर्थियों को ही परीक्षा देने की अनुमति दी जाए।’’
पीठ ने कहा कि समिति सभी परीक्षा केंद्रों पर व्यापक सीसीटीवी निगरानी प्रणाली की व्यवहार्यता पर भी विचार करेगी, जिसमें सभी गतिविधियों की वास्तविक समय पर निगरानी और रिकॉर्डिंग शामिल होगी।
इसने समिति के कार्यक्षेत्र का विस्तार करते हुए कहा, ‘‘इसका उद्देश्य किसी भी कदाचार या अनधिकृत गतिविधियों को रोकना और उनका पता लगाना तथा घटनाओं के मामले में साक्ष्य उपलब्ध कराना है।’’
न्यायालय ने रेखांकित किया कि शिक्षा मंत्रालय ने 22 जून, 2024 को अधिसूचना जारी कर समिति का गठन किया था। इसमें कहा गया था कि इसकी रिपोर्ट अधिसूचना जारी होने की तारीख से दो महीने के भीतर प्रस्तुत की जाएगी।
पीठ ने कहा, ‘‘यह अवधि 22 अगस्त 2024 को समाप्त होगी। हालांकि, इस फैसले के संदर्भ में समिति के विस्तारित कार्य क्षेत्र को देखते हुए, नीट के संचालन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर समग्र रिपोर्ट के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, समिति रिपोर्ट 30 सितंबर, 2024 तक शिक्षा मंत्रालय को सौंप सकती है।’’
न्यायालय ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति की सिफारिशों पर निर्णय लेगा।
पीठ ने कहा, ‘‘मंत्रालय इस आधार पर एक कार्ययोजना तैयार करेगा और उसका क्रियान्वयन शुरू करेगा। शिक्षा मंत्रालय सिफारिशों के क्रियान्वयन पर निर्णय लेने के दो सप्ताह के भीतर इन निर्देशों के संबंध में अनुपालन रिपोर्ट जमा करेगा।’’
न्यायालय ने साथ ही अनुपालन रिपोर्ट के सत्यापन के लिए मामले को उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि वर्तमान बैच के किसी छात्र की कोई व्यक्तिगत शिकायत है जो वर्तमान निर्णय द्वारा हल किए गए मुद्दों से संबंधित नहीं है, तो वे कानून के अनुसार अपने अधिकारों और उपायों के लिए स्वतंत्र होंगे, जिसमें अधिकारक्षेत्र वाले उच्च न्यायालयों में जाना भी शामिल है।
पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, राहत के लिए उच्च न्यायालय में जाने से पहले याचिकाकर्ताओं को इस न्यायालय के समक्ष दाखिल अपनी याचिकाएं, यदि कोई दायर की गई हैं तो उसे वापस लेने का अनुरोध करना होगा।’’
एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पांच मई को आयोजित नीट-यूजी 2024 परीक्षा में 23 लाख से अधिक अभ्यार्थियों ने हिस्सा लिया था।
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