नयी दिल्ली, छह नवंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में दूरसंचार कंपनियों को आदेश दिया कि वे उपभोक्ताओं को दिये गये विशेष टैरिफ और ऑफर्स का विवरण दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को दें।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने ट्राई के अंतिरम आवेदन पर यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा ‘पारदर्शिता’ और ‘बगैर भेदभाव’ के नियामक के सिद्धांतों का पालन के लिये कहना ‘‘ न तो गैर कानूनी है और न ही अनुचित है।’’
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पीठ ने कहा, ‘‘ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के आलोक में, ट्राई अब यह सुनिश्चित करना चाहता है कि पारदर्शिता और भेदभाव रहित जैसे नियामक सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित किया जाये, इसे पहली नजर में न तो गैरकानूनी और न ही पूरी तरह से अनुचित कहा जा सकता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अत: अंतरिम आवेदन स्वीकार किया जाता है और प्रतिवादियों (भारती एयरटेल और अन्य) को निर्देश दिया जाता है कि वे आवेदक ट्राई द्वारा विभिन्न सेगमेन्ट के ऑफर्स के बारे में जानकारी उपलब्ध करायें।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि ट्राई का कर्तव्य और दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी सूचनाओं को गोपनीय रखा जाये और इन्हें प्रतिस्पर्धियों या किसी अन्य व्यक्तियों को उपलब्ध नहीं कराया जाये।
ट्राई ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिये ऐसे सभी प्लान के बारे में जानकारी देना अनिवार्य कर दिया था। एयरटेल और वोडाफोन ने इस फैसले का विरोध करते हुये टीडीसैट से इसमें राहत देने का अनुरोध किया था। इन कंपनियों का कहना था कि ये टैरिफ प्लान नहीं है और इसलिए इनकी जानकारी देने की आवश्यकता नहीं है जबकि रिलायंस जिओ इंफोकॉम लि और सरकारी मोबाइल सेवा प्रदाताओं ने ट्राई के आदेश का पालन किया था।
अनूप
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