नयी दिल्ली, 29 अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्र को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड के मामलों में तेजी से हुयी वृद्धि से पैदा हुए संकट के मद्देनजर शेष चार पीएसए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना में तेजी लाए।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने केंद्र को यह निर्देश जारी किया। इससे पहले दिल्ली सरकार ने अदालत से कहा कि केंद्र सरकार ने शहर में आठ पीएसए (प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन) चिकित्सीय ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए दो विक्रेताओं को मंजूरी दी है।
दिल्ली सरकार ने कहा कि एक विक्रेता से अब संपर्क नहीं हो पा रहा है जबकि दूसरे को केंद्र ने दूसरे स्थान पर भेजा है और इसलिए अब तक केवल दो पीएसए संयंत्र ही स्थापित किए गए हैं।
पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह डीआरडीओ से उसकी ‘‘विमान में ऑक्सीजन उत्पादन प्रणाली’ के संबंध में अनुरोध करने के लिए तत्काल कदम उठाए। इस प्रणाली का उपयोग हवाई जहाजों में किया जाता है और इसे अस्पतालों में भी लगाया जा सकता है ताकि चिकित्सीय ऑक्सीजन का उत्पादन हो सके।
इससे पहले अदालत को सूचित किया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही इस प्रणाली के लिए अनुरोध किया है जिसमें प्रति मिनट 1000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकता है।
अदालत ने कहा कि ऐसे उपायों से दिल्ली में ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी जो जीवन रक्षक गैस की कमी का सामना कर रही है।
अदालत ने दिल्ली के अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को भी नोटिस जारी किया और उन्हें शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने को कहा। अदालत ने उन्हें अस्पतालों में आपूर्ति की जाने वाली ऑक्सीजन के संबंध में विस्तृत आंकड़े तैयार रखने का निर्देश दिया।
इससे पहले अदालत ने केंद्र से सवाल किया कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों दी जा रही है जबकि दिल्ली का आवंटन आम आदमी पार्टी की सरकार के आग्रह के हिसाब से बढ़ाया नहीं गया है।
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