नयी दिल्ली, 28 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में कुत्तों के अवैध प्रजनन को नियंत्रित नहीं कर पाने पर बुधवार को अधिकारियों की आलोचना की कहा कि और कुत्तों के काटने के मामलों में वृद्धि के कारण पशु प्रेमियों की ‘‘बदनामी’’ अफसोसजनक है।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इसे दुखद बताया और पशुपालन विभाग के सचिव को हलफनामा दायर करने को कहा जिसमें कुत्तों के अवैध प्रजनन को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों और भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों की पूरी सूची हो।
अदालत ने कहा कि इस मामले में 2018 से ऐसी किसी भी स्थिति रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया है जिसमें यह जानकारी हो कि इसे रोकने और नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों द्वारा क्या कार्रवाई की गई है?
अदालत ने कहा, ‘‘यह बेहद दुखद है। प्रशासन ने कुत्तों के अवैध प्रजनन को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कदम नहीं उठाए।’’
राष्ट्रीय राजधानी में इसे (कुत्तों का अवैध प्रजनन) रोकने के अनुरोध वाली छह साल पुरानी जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही अदालत ने कार्यवाही लंबित रहने के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर सवाल खड़े किए और कहा कि कुत्तों के काटने के मामलों में वृद्धि के कारण कुत्तों से प्रेम करने वाले लोग ‘बदनाम’ हो रहे हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘ आरएमएल अस्पताल जाकर देखिए रोजाना कुत्ते के काटने के कितने मामले सामने आते हैं। एक महीने में हजारों ऐसे मामले आते हैं। शहर पर कुत्तों और बंदरों का आतंक है।’’
अदालत ने कहा कि अगर वह सचिव द्वारा दाखिल जवाब से संतुष्ट नहीं हुई, तो मुख्य सचिव से इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए कहेगी।
अदालत ने आगाह करते हुए कहा, ‘‘हम मुख्य सचिव से कार्रवाई करने के लिए कहेंगे। यह अवैध कारोबार बंद होना चाहिए। आपके अधिकारी कुत्तों के अवैध प्रजनन की गतिविधि में संलिप्त नहीं हो सकते।’’
इस मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।
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