देश की खबरें | टीटीजेड में रातोंरात 454 पेड़ों की कटाई को न्यायालय ने ‘स्तब्ध कर देने वाली स्थिति’ बताया

नयी दिल्ली, 29 नवंबर उत्तर प्रदेश के मथुरा में 454 पेड़ रातोंरात काटे जाने को ‘‘स्तब्ध कर देने वाली स्थिति’’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में शाम छह बजे से सुबह आठ बजे तक पेड़ों की कटाई पर शुक्रवार को पाबंदी लगा दी।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एक निजी पक्ष, डालमिया फार्म्स को अवमानना ​​नोटिस जारी किया, जिसने 18 और 19 सितंबर की मध्य रात्रि के दौरान एक निजी जमीन पर 422 पेड़ों की कटाई करने के अलावा संरक्षित वन के 32 पेड़ों को भी काट दिया था।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने सीईसी (केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति) की रिपोर्ट का अवलोकन किया है, जिसमें स्तब्ध कर देने वाली स्थिति का खुलासा करते हुए कहा गया है कि 18-19 सितंबर की रात को 454 पेड़ अवैध रूप से काटे गए, जिनमें से 422 निजी भूमि पर थे और शेष पेड़ संरक्षित वन का हिस्सा थे।’’ पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया निजी पक्ष द्वारा अवमानना ​​की गई है।

टीटीजेड का क्षेत्रफल लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर है। यह उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।

न्यायालय ने टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की गणना करने और अवैध रूप से पेड़ों की कटाई पर नजर रखने के लिए एक तंत्र विकसित करने पर विचार किया।

पीठ ने कहा कि टीटीजेड में पेड़ों की गणना के अलावा वह संस्थागत तंत्र विकसित करना चाहती है। इसने कहा, ‘‘हम एक संस्थागत तंत्र बनाना चाहते हैं जो पेड़ों की कटाई के लिए दी गई अनुमतियों पर गौर कर सके।’’

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि वह उप्र वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के प्रावधानों में संशोधन करने पर विचार करे, ताकि पेड़ों की कटाई के लिए दंड के प्रावधान को कड़ा किया जा सके।

पीठ ने निजी भूमि के मालिकों से 16 दिसंबर तक जवाब मांगा है, जब शीर्ष अदालत टीटीजेड में पेड़ों की गणना पर भी आदेश पारित करेगी।

शीर्ष अदालत ने मथुरा जिले के पुलिस अधीक्षक को संबंधित थाना प्रभारी को उक्त स्थान पर जाने और कानून के अनुसार लकड़ी जब्त करने का निर्देश दिया। साथ ही, यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि इस बीच कोई निर्माण नहीं होना चाहिए और वहां यथास्थिति बनाए रखी जाए।

सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता ए डी एन राव, जिन्हें इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया गया है, ने कहा कि सीईसी ने पेड़ों की कटाई वाले स्थल का दौरा किया और पाया कि 8 मई 2015 के उस आदेश का पालन नहीं किया गया है, जिसमें अदालत की पूर्व अनुमति के बिना टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

यह कहते हुए कि एक कॉलोनी के निर्माण के लिए 454 पेड़ काटे गए, राव ने टीटीजेड क्षेत्र में किसी भी तरह की और कॉलोनी बनाने पर रोक लगाने के लिए अदालत से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि पेड़ों की कटाई के लिए निजी भूमि के मालिकों के खिलाफ उत्तर प्रदेश वृक्ष अधिनियम 1976, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वन अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की गई है।

यह मामला, पर्यावरण संबंधी चिंताओं और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ताजमहल एवं उसके आसपास के क्षेत्रों सहित ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण को लेकर दायर एक याचिका से संबद्ध है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)