नयी दिल्ली, 30 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित प्रेम संबंध को लेकर बेटी की हत्या करने के आरोपी एक व्यक्ति को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष मुकदमे को संदेह के परे साबित नहीं कर सका।
उच्च न्यायालय ने व्यक्ति को हत्या का दोषी करार देने और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाने वाले निचली अदालत के फैसले को दरकिनार कर दिया।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति पूनम ए. बम्बा की पीठ ने 26 जून के एक फैसले में कहा, ‘‘इस अदालत का मानना है कि सिर्फ डीएनए विश्लेषण के आधार पर कि शव अपील करने वाले (पिता) की पुत्री का है, यह नहीं कहा जा सकता है कि अभियोजन पक्ष ने संदेह के परे यह साबित कर दिया है कि अपील करने वाली ने हत्या (पुत्री की) है और वह भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या) और 201 (साक्ष्य मिटाने) के तहत दंड का भागी है।’’
पीठ ने निर्देश दिया कि अगर किसी अन्य मामले में अगर आवश्यकता ना हो तो व्यक्ति को रिहा कर दिया जाए।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 10 मई, 2013 को पुलिस को महरौली इलाके में एक बोरी में शव पड़े होने करी सूचना मिली थी। शव की पहचान नहीं की जा सकी।
महरौली पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज करके आगे की जांच की और यह दावा किए जाने के बाद कि व्यक्ति ने प्रेम संबंधों को लेकर अपनी बेटी की हत्या करके शव को ठिकाने लगाने का प्रयास किया है, उसे हिरासत में लिया। पूछताछ में व्यक्ति से संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
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