ठाणे, 19 मार्च महाराष्ट्र में ठाणे जिले की एक अदालत ने एक मज़दूर की 2014 में हुई हत्या के मामले में आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन उसके खिलाफ अपना मामला साबित करने में नाकाम रहा है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित एम शेटे ने 11 मार्च को पारित फैसले में कहा कि जांच अधिकारी मामले की ठीक से जांच करने में विफल रहे। इस फैसले की प्रति सोमवार को उपलब्ध हुई।
अतिरिक्त लोक अभियोजक संजय मोरे ने अदालत को बताया कि राजेश बोधि साव नामक श्रमिक की हत्या कर दी गई थी और वह तथा आरोपी - हनुमंत नरसिंग मितकर (39) और दिलीप विट्ठल हडसे ठाणे शहर में एक ही निर्माण स्थल पर काम करते थे और एक-दूसरे को जानते थे। वे निर्माणाधीन परिसर के एक श्रमिक शिविर में रहते थे।
अभियोजन ने अदालत को बताया कि साव ने दोनों आरोपियों में से एक की भतीजी से बदसलूकी की थी जिसके बाद दोनों ने मिलकर कथित रूप से श्रमिक शिविर में उसकी हत्या कर दी।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान हडसे की मृत्यु हो गई और उसके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया।
अदालत ने मितकर को बरी करते हुए कहा कि घटना दिनदहाड़े हुई, लेकिन इसका कोई प्रत्यक्ष गवाह नहीं है।
अदालत ने कहा है कि जिन गवाहों का परीक्षण किया गया, वे उतने प्रासंगिक नहीं हैं और विश्वासनीय भी नहीं हैं।
अदालत ने कहा, "अभियोजन पक्ष और गवाह सभी उचित संदेह से परे आरोप साबित करने में विफल रहे हैं।"
उसने कहा कि जांच अधिकारी अपराध की छानबीन करने में अपना फर्ज ठीक से निभाने में विफल रहे।
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