कोलकाता, पांच सितंबर पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद ने मंगलवार को कहा कि आगामी एशियाई खेलों के लिए वह इससे मजबूत भारतीय शतरंज टीम की उम्मीद नहीं कर सकते थे।
भारतीय शतरंज तेजी से ऊपर की ओर बढ़ रहा है और हाल में बाकू में हुए विश्व कप में चार भारतीय खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंचे जिसमें आर प्रज्ञानानंदा ने रजत पदक जीतने वाला सबसे युवा खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया।
इसी सफलता की कड़ी में इजाफा करते हुए पिछले हफ्ते आनंद के 17 वर्षीय शिष्य डी गुकेश ने अपने गुरु की भारत के नंबर एक खिलाड़ी रहने की 37 साल की बादशाहत समाप्त कर दी।
गुकेश ने 2758 ईएलओ रेटिंग हासिल की जिससे उन्होंने आनंद को चार अंक से पछाड़ दिया। यह देश के शतरंज इतिहास की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
आनंद ने यहां ‘टाटा स्टील चेस इंडिया’ के मौके पर मीडिया बातचीत के दौरान कहा, ‘‘ मैं रैंकिंग देखकर और यह सोचकर ‘नर्वस’ हो जाता हूं कि हम यह (टूर्नामेंट) जीतने जा रहे हैं, हम वह (टूर्नामेंट) जीतने जा रहे हैं। ’’
उन्होंने एशियाई खेलों में भारत की संभावनाओं के बारे में कहा, ‘‘और भी कई अन्य बहुत अच्छी टीम हैं। उज्बेकिस्तान अच्छी है। वियतनाम अच्छी है। चीन भी महान खिलाड़ियों का दल उतारेगा। इसलिये हमारे सामने प्रतिद्वंद्वी होंगे लेकिन हमारे पास जो टीम है, आप उससे बेहतर की उम्मीद नहीं कर सकते। ’’
आनंद ने कहा, ‘‘टीम में काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। वे पिछली पीढ़ी से बेहतर करते हैं या नहीं, यह उन पर निर्भर करेगा और हम देखेंगे। लेकिन हमारे पास प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पीढ़ी है। ’’
चीन की अगुआई मौजूदा विश्व चैम्पियन लिंग डिरेन करेंगे।
भारत ने पुरुष और महिला वर्ग में 10 सदस्यीय टीम की घोषणा की है। गुकेश, प्रज्ञानानंदा, विदित गुजराती, पी हरिकृष्णा और अर्जुन एरिगेसी जैसे खिलाड़ी पुरुष चुनौती का की अगुआई करेंगे।
दो बार की एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता जीएम कोनेरू हम्पी और हरिका द्रोणावल्ली महिला चुनौती का जिम्मेदारी संभलोंगी।
भारत में शतरंज के ग्राफ में बढ़ोतरी के बारे में बात करते हुए आनंद ने कहा कि उन्होंने तीन साल पहले जब अपनी अकादमी (डब्ल्यूएसीए) शुरू की थी तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘शीर्ष 20 में मेरे दो साथी हैं। पहली बार गुकेश शीर्ष 10 में ही नहीं बल्कि वह मेरे से भी ऊपर है। प्राग कैंडिडेट्स में है, गुकेश भी कैंडिडेट्स में जगह बना सकता है। फिर अर्जुन, विदित, हरि थोड़े ही पीछे हैं, फिर निहाल है। ’’
आनंद ने कहा, ‘‘मैंने इसलिये इसे स्वर्णिम पीढ़ी कहा था क्योंकि अर्जुन (जो शायद दो दिन पहले ही 20 साल के हुए हैं) को छोड़कर सभी खिलाड़ी किशोर हैं जिसका मतलब है कि अगले 10 वर्षों में हम भारतीय अपने किसी एक खिलाड़ी को प्रत्येक शीर्ष टूर्नामेंट में देख सकते हैं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिये यह भारतीय शतरंज प्रेमियों के लिए भी अच्छा समय है जो बहुत ही रोमांच देने वाला है। ’’
यह पूछने पर मैग्नस कार्लसन को हराना इतना मुश्किल क्यों हैं तो आनंद ने कहा, ‘‘वह स्वाभाविक रूप से कम गलतियां करते हैं। मुझे लगता है कि किसी ने कहा था कि वह अकसर सर्वश्रेष्ठ चाल नहीं ढूंढ पाता लेकिन वह कभी भी खराब चाल नहीं चलता। ’’
आनंद ने कहा, ‘‘वह भले ही तीसरी सर्वश्रेष्ठ चाल चले जो अच्छी है लेकिन वह कभी भी बड़ी गलती नहीं करेगा। यह भी सच है कि ऐसी कोई बाजी याद करना मुश्किल है जिसमें वह आसानी से हार गया हो। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह हमेशा इतना प्रेरित रहता है कि जो सिर्फ बड़े टूर्नामेंट के लिए ही नहीं बल्कि छोटे टूर्नामेंट के लिए भी होती है। उसमें शतरंज को लेकर जो भूख है, वो विशेष है। ’’
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