भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के परीक्षण कम होने की बात अनुचित : आईसीएमआर
जमात

नयी दिल्ली, 16 अप्रैल कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या, दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में कम होने के लिये, कम परीक्षण किये जाने की दलील को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने आंकड़ों के आधार पर गलत बताया है।

आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका, इटली, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों की तुलना में कोरोना मरीजों की पहचान के लिये भारत में न सिर्फ ज्यादा परीक्षण हो रहे हैं, बल्कि तार्किक और विवेकपूर्ण तरीके से भारत में परीक्षण किये जा रहे हैं।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा भारत में कम परीक्षण किये जाने के आरोप के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना परीक्षण की नीति को जनसंख्या के आधार पर देखना समझदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे दूसरे नजरिये से समझना होगा।

गांधी ने भारत में कोरोना परीक्षण का दायरा अभी बहुत कम होने के कारण पूरी तरह से संक्रमण के मामले सामने नहीं आने की दलील देते हुये सरकार से देश में कोविड-19 के परीक्षण को बढ़ाने का सुझाव दिया है।

डा. गंगाखेड़कर ने कोविड-19 के परीक्षण को लेकर एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि जापान में औसतन 11.7 लोगों के परीक्षण पर एक मरीज में संक्रमण की पुष्टि हो रही है। वहीं, संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित देश इटली में 6.7, अमेरिका में 5.3 और ब्रिटेन में 3.4 लोगों के परीक्षण पर एक मरीज में संक्रमण की पुष्टि हो रही है। जबकि, भारत में औसतन 24 लोगों के परीक्षण पर एक संक्रमित मरीज मिल रहा है।

डा. गंगाखेड़कर ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि अन्य देशों की तुलना में अधिक परीक्षण करने के बावजूद भारत में संक्रमण की दर तुलनात्मक रूप से कम है। उन्होंने कहा कि भारत, शुरु से ही इस दिशा में तार्किक एवं विवेकपूर्ण रणनीति अपनाकर आगे बढ़ा है, शायद यही वजह है कि भारत में विशाल एवं सघन आबादी होने के बावजूद कोरोना संक्रमण की दर और मरीजों एवं मृतकों की संख्या, कोरोना प्रभावित अन्य देशों की तुलना में कम है।

इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि पूरी दुनिया में कोविड-19 के परीक्षण की प्रक्रिया और मानक पहले से परिभाषित हैं। भारत में इन मानकों के आधार पर ही परीक्षण प्रक्रिया को अपनाया गया है।

अग्रवाल ने कहा कि भारत ने सभी नागरिकों का परीक्षण कर संसाधनों को व्यर्थ गंवाने के बजाय संभावित अथवा संदिग्ध मरीजों का ही परीक्षण करने की रणनीति अपनायी है। उन्होंने कहा कि गैरजरूरी परीक्षण करने से बचने के लिये ही पूरे देश को हॉटस्पॉट, संदिग्ध हॉटस्पॉट और ग्रीन जोन में बांट कर संक्रमण रोधी अभियान चलाया गया है और इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों में अधिकतम तापमान में तेजी से उछाल के मद्देनजर कोरोना वायरस पर पड़ने वाले प्रभाव के सवाल पर डा. गंगाखेड़कर ने कहा कि अभी यह नया वायरस है, इस पर मौसम के असर का कोई अध्ययन या प्रमाण मौजूद नहीं है। ऐसे में गर्मी का इस वायरस पर क्या असर पड़ेगा, इसके प्रमाण गर्मी में ही देखने को मिल सकते हैं।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)