संगठन ने कहा है कि कोरोना वायरस की रिपोर्ट करते समय चार में तीन पत्रकारों को रोक-टोक, अवरोधों या धमकी का सामना करना पड़ा है।
संगठन ने 77 देशों में 1308 पत्रकारों के दिए जवाबों का विश्लेषण करने के बाद यह तथ्य सामने रखा है ।
आईएफजे के मुताबिक, दो तिहाई कर्मचारी और फ्रीलांस पत्रकारों ने कहा कि उन्हें वेतन में कटौती, रोजगार गंवाने और आमदनी घटने जैसी कठिन स्थिति का सामना करना पड़ा है।
आईएफजे के महासचिव एंथनी बेलांगेर ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब सूचनाओं तक पहुंच बहुत जरूरी है और गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता मायने रखनी है, ये नतीजे मीडिया की आजादी में कटौती के चिंताजनक रूझान दिखाते हैं।’’
अप्रैल में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक तकरीबन हर फ्रीलांस पत्रकारों ने आमदनी घटने और रोजगार के अवसरों के कम होने की बात कही ।
बहरहाल, कोरोना वायरस संकट के समय कामकाज ने भी पत्रकारों की मानसिक सेहत पर असर डाला है। जवाब देने वालों में आधे से ज्यादा लोगों ने कहा कि वे दबाव, बेचैनी और घबराहट महसूस करते हैं ।
ब्रसेल्स स्थित आईएफजे ने कहा कि करीब एक चौथाई पत्रकारों ने कहा कि घर से काम करने के लिए उनके पास बेहतर उपकरण भी नहीं है ।
आईएफजे ने कहा, ‘‘पत्रकारों से उनके देश में मीडिया की आजादी के बारे में पूछे जाने पर अधिकतर का यही कहना था कि हालात बदतर हुए हैं।’’
महामारी के प्रसार के बाद दर्जनों पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
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