देश की खबरें | प्रशासन से अनुमति न मिलने पर पुराने लिपुलेख दर्रे के पास कांग्रेस का धरना कार्यक्रम खटाई में

पिथौरागढ़, 14 अक्टूबर संवेदनशील सीमांत क्षेत्र में राजनीतिक कार्यक्रम के लिए इनर लाइन पास (आईएलपी) नहीं देने के प्रशासन के फैसले के बाद पिथौरागढ़ जिले में स्थानीय लोगों को भी पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश दर्शन की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस का मंगलवार को व्यांस घाटी में लिपुलेख दर्रे के पास प्रस्तावित धरना कार्यक्रम खटाई में पड़ गया है।

धारचूला के उपजिलाधिकारी मंजीत सिंह ने कहा कि अभी तक किसी ऐसे व्यक्ति को इनर लाइन पास नहीं दिया गया है, जो किसी राजनीतिक कार्यक्रम की मंशा से सीमांत क्षेत्र में प्रवेश करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता सीमांत क्षेत्र में जाने के बजाय धारचूला में उन्हें अपना ज्ञापन सौंप दें।

अधिकारी ने कहा, “हम कांग्रेस नेताओं से बात कर उन्हें मनाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे धारचूला में अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन मुझे सौंप दें। हम इस संबंध में निर्देश लेने के लिए अपने उच्च अधिकारियों के संपर्क में हैं।”

सिंह ने कहा कि फिलहाल हमें संवेदनशील सीमांत क्षेत्र में राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए इनर लाइन परमिट नहीं देने के आदेश दिए गए हैं।

इससे पहले, प्रस्तावित धरने के लिए गंतव्य की ओर जाते समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने सोमवार को आरोप लगाया कि स्थानीय लोगों को पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश चोटी के दर्शन की अनुमति न देकर प्रदेश सरकार व्यांस और दारमा घाटी में रहने वाले सीमांत लोगों में असंतोष पैदा कर रही है।

माहरा ने कहा, “व्यांस घाटी का सीमांत क्षेत्र, जहां पुराना लिपुलेख दर्रा स्थित है, सुरक्षा की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है और अगर स्थानीय लोगों को अपने देवी-देवताओं की पूजा के अधिकार से वंचित किया जाएगा, तो उनमें असंतोष पनपेगा।”

उत्तराखंड कांग्रेस ने अन्य पर्यटकों की तरह स्थानीय लोगों को भी पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश चोटी के दर्शन की अनुमति देने की मांग को लेकर पुराने लिपुलेख दर्रे के पास धरना देने की योजना बनाई है।

राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने हाल में भारतीय भूभाग में स्थित पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश पर्वत की चोटी के दर्शन की योजना शुरू की है। योजना के तहत देश भर से आने वाले पर्यटकों को हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ से गुंजी आधार शिविर तक पहुंचाया जाता है। यहां से उन्हें सड़क मार्ग से 17,500 फीट की उंचाई पर स्थित पुराने लिपुलेख दर्रे ले जाया जाता है, जहां से उन्हें तिब्बत में स्थित पवित्र कैलाश पर्वत की चोटी के दर्शन होते हैं।

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