नयी दिल्ली, 12 नवंबर कांग्रेस ने खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने के कारण महंगाई में वृद्धि को लेकर मंगलवार को चिंता व्यक्त की और सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में वह खाद्य पदार्थों की कीमतों को मुद्रास्फीति के आकलन से बाहर कर सकती है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘खाद्य मुद्रास्फीति अब दोहरे अंक में पहुंच गई है। अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मुंबई जैसी जगहों पर प्याज अब 80 रुपये प्रति किलोग्राम की ऊंची कीमत पर बिक रहा है। खुदरा मुद्रास्फीति अब रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सब सुस्त खपत, निवेश में कमी, स्थिर वास्तविक मजदूरी और व्यापक बेरोजगारी के साथ हो रहा है। जब खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ता है, तो सरकार का जोर केवल खाद्य पदार्थों की कीमतों को मुद्रास्फीति के आकलन से बाहर करने का होता है।’’
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने यानी सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी। मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। इस तरह खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के ऊपर निकल गई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी।
खुदरा मुद्रास्फीति पिछले साल सितंबर से आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे थी। अगस्त, 2023 में यह 6.83 प्रतिशत पर थी।
कांग्रेस खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने में विफल रहने के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की आलोचना करती रही है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)