नयी दिल्ली, नौ दिसंबर राज्यसभा में सोमवार को नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस के कई सदस्यों ने सभापति जगदीप धनखड़ पर कार्यवाही के दौरान ‘पक्षपातपूर्ण रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया।
सुबह, उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर धनखड़ ने आवश्यक कामकाज निपटाने के बाद बताया कि सूचीबद्ध कामकाज निलंबित कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए उन्हें नियम 267 के तहत कुल 11 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस खारिज कर दिए।
इसके बाद, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदस्यों ने कांग्रेस तथा उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए यह मुद्दा उठाने की कोशिश की और इस पर चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा शुरु कर दिया।
हंगामे के बीच ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लक्ष्मीकांत वाजपेयी सहित कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया कि अमेरिकी उद्योगपति जार्ज सोरोस और कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य के संबंधों का मामला सामने आया है।
भाजपा सदस्यों ने इसे देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा करार देते हुए तत्काल चर्चा कराने की मांग की और हंगामा किया।
नोटिस खारिज किए जाने के बावजूद सभापति द्वारा सत्ता पक्ष के सदस्यों के नाम पुकारे जाने और उन्हें बोलने का अवसर देने पर कांग्रेस के जयराम रमेश ने कड़ी आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि जब सभापति ने नियम 267 के तहत नोटिस खारिज कर दिए हैं तो उसमें उल्लिखित मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
रमेश ने कहा, ‘‘बहुत गलत हो रहा है। आप सभापति हैं। आप सदन के रक्षक हैं। कृपया आप पक्षकार मत बनिए।’’
हंगामे के दौरान ही नेता प्रतिपक्ष खरगे ने कहा, ‘‘बहुत देर से मैंने अपना हाथ उठाया हुआ था। जब सदन के नेता ने कुछ बात कही और मैं उससे सहमत नहीं था... इसलिए मैंने ऊंगली उठाकर आपका ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की। लेकिन आपने मुझे मौका नहीं दिया। आपने मंत्री को बुला लिया। यह अच्छा नहीं है।’’
इस पर धनखड़ ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को उनके ऊपर आरोप लगाने की बजाय अपनी बात रखनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘...आप हर बार कहते हैं कि मैं मंत्री का पक्ष लेता हूं... नेता सदन का पक्ष लेता हूं। यह आपके श्रीमुख से शोभा नहीं देता। आप मुद्दे पर बोलिए। मुझे आरोपित क्यों कर रहे हैं।’’
खरगे ने नेता सदन से कहा, ‘‘....सदन को नहीं चलाना अगर तय करके आए हैं तो आप लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं।’’
हंगामे के बीच ही जनता दल (यूनाइटेड) के संजय झा और भाजपा के के लक्ष्मण, बृजलाल सहित कई अन्य सदस्यों ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की।
कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने आसन से सवाल किया कि सत्ताधारी दल के सदस्यों को किस नियम के तहत बोलने की इजाजत दी रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये अपनी सारी बातें रख रहे हैं। इनके माइक भी खुले रहते हैं। इनके फोटो भी (राज्यसभा टीवी पर) दिखाए जा रहे हैं। यह बिल्कुल गलत है। शोरगुल और हल्ला नहीं दिखाया जाता है लेकिन इन्हें दिखाया जा रहा है।’’
कांग्रेस के ही दिग्विजय सिंह ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि किस नियम के तहत उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा शुरु की है।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने भी नोटिस खारिज किए जाने के बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों को बोलने देने का अवसर देने पर सवाल उठाया। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस हुई, जिसके कारण सभापति को 11 बज कर 42 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। इसी मुद्दे पर सदन की कार्यवाही दो बजे और फिर तीन बजे तक के लिए स्थगित हुई।
तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और विपक्षी सदस्यों ने अदाणी समूह से जुड़े मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विपक्ष के कुछ सदस्य सीट से आगे आकर नारेबाजी कर रहे थे।
सदन में हंगामा जारी रहने के बीच सभापति धनखड़ ने सदस्यों से आत्मचिंतन करने का आह्वान करते हुए सदन को सुचारू रूप से चलने देने की अपील की। हालांकि सदन में शोरशराबा जारी रहा और सभापति ने बैठक की कार्यवाही अपराह्न करीब 03:10 बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
ब्रजेन्द्र
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