नयी दिल्ली, 10 अप्रैल पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेता जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने और नयी चुनौतियों से निपटने पर विचार-विमर्श के लिए जल्द ही एक 'चिंतर शिविर' में हिस्सा लेंगे।
सूत्रों ने बताया कि इस सम्मेलन की तैयारियों का खाका खींचने के लिए कांग्रेस ने मंगलवार को अपने महासचिवों और प्रभारियों की बैठक बुलाई है। यह चिंतन शिविर राजस्थान में होने की संभावना है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही इस शिविर के आयोजन की मेजबानी अपने-अपने राज्यों में करने की पेशकश कर चुके हैं। ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी से करीब होने के चलते पार्टी नेतृत्व राजस्थान के जयपुर में सम्मेलन का आयोजन कर सकता है।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेतृत्व को संगठन में भारी बदलाव की मांग का सामना करना पड़ा था और इस बीच हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान संसद सत्र के बाद सीडब्ल्यूसी की एक और बैठक आयोजित करने के साथ ही चिंतन शिविर के विवरण को अंतिम रूप देने का निर्णय लिया गया था।
इस शिविर के दौरान चुनावी हार से सीख लेते हुए भविष्य के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिये रणनीतिक खाका खींचने को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा क्योंकि मौजूदा समय में कांग्रेस की केवल दो राज्यों- राजस्थान और छत्तीसगढ़- में ही सरकारें हैं जबकि महाराष्ट्र तथा झारखंड में वह सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी दल है।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व चाहता है कि प्रत्येक नेता पार्टी की विचारधारा के प्रसार में मदद और आगामी चुनावों में वह कैसे बेहतर प्रदर्शन करे इसको लेकर संगठन में कमियों और इसमें सुधार करने के उपायों पर खुलकर चर्चा करे।
कांग्रेस पहले ही ‘जी-23’ समूह के नेताओं द्वारा खड़ी की गई चुनौतियों से जूझ रही है और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनसे पहले ही कहा है कि वे आगामी चिंतिन शिविर जैसे पार्टी के मंच पर अपनी शिकायतों को उठाएं, ताकि उनका समाधान किया जा सके।
सूत्रों ने कहा कि सोनिया गांधी का उद्देश्य पार्टी में हर स्तर पर एकजुटता लाना है, जिसे लेकर वह नेताओं के साथ बातचीत में कई बार जोर दे चुकी हैं।
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