नयी दिल्ली, 16 दिसंबर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने कश्मीर के संबंध में संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया और एक अस्थायी प्रावधान को ‘स्थायी रूप’ दे दिया क्योंकि उसमें ‘कार्रवाई’ करने का साहस नहीं था।
‘भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर राज्यसभा में अपने संबोधन में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री पुरी ने कांग्रेस की आलोचना की जिसमें कश्मीरी पंडितों और सिख विरोधी दंगों का भी उल्लेख था।
पुरी ने अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान में यह एकमात्र प्रावधान था जिसका मसौदा बाबासाहेब आंबेडकर की नजरों से नहीं गुजरा था। उन्होंने कहा कि जब संविधान सभा ने अनुच्छेद 370 (तब संख्या 306 ए) पारित किया, आंबेडकर चुप रहे।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि सरदार पटेल भी शेख अब्दुल्ला और उनके सहयोगियों को दी गई छूट से हैरान थे।
उन्होंने कहा कि संविधान के इस अनुच्छेद को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘अदम्य साहस और संकल्प’ की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि हालांकि इसके ‘अस्थायी होने’ की बात कही गई थी लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति ने वास्तव में इसे स्थायी बना दिया।
उन्होंने दावा किया कि पुरजोर विरोध के बावजूद संविधान में एक विशेष प्रावधान शामिल किया गया क्योंकि शेख अब्दुल्ला की स्वायत्तता की मांग को उनके ‘प्रिय मित्र’ पंडित जवाहरलाल नेहरू ने समर्थन दिया था।
पुरी ने कहा कि शेख अब्दुल्ला को लिखे एक पत्र में आंबेडकर ने उन्हें दीर्घकालिक परिणामों की चेतावनी दी थी और उन्होंने लिखा था, ‘‘आप पंडित नेहरू को गलत सलाह दे रहे हैं।’’
पुरी ने शेख अब्दुल्ला को लिखे आंबेडकर के पत्र का हवाला देते हुए कहा, ‘‘कश्मीर को विशेष दर्जा देकर आप कश्मीर को भारत की मुख्यधारा से अलग कर रहे हैं। नतीजतन, जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास या रोजगार के अवसर नहीं होंगे। मैं आपके प्रयासों का हिस्सा नहीं बनूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने कश्मीर के संबंध में संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘जो एक अस्थायी प्रावधान था, वह करीब 70 साल तक स्थायी रूप में रहा क्योंकि कांग्रेस में कार्रवाई करने का साहस नहीं था।’’
पुरी ने अनुच्छेद 370 को ‘भारत के संवैधानिक निकाय की राजनीति में एक विसंगति’ करार दिया और कहा कि यह भारत के मूल विचार के खिलाफ था।
जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऋषि कश्यप के समय से भारत के इतिहास में विशेष महत्व रखने वाली भूमि आजादी के बाद भारत के लिए लगभग पराया हो गई, जबकि इसके निवासियों को बाकी देशवासियों के समान मौलिक अधिकार नहीं मिले।
उन्होंने कहा कि उनके पास कोई अधिकार नहीं थे, शिक्षा भी नहीं और कोई नौकरी तक नहीं था।
पुरी ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले दलालों के उद्योग ने पथराव और भ्रष्टाचार की संस्कृति को बढ़ावा दिया।’’
उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाएं पूर्ववर्ती राज्य में लागू नहीं हों सकीं।
पुरी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को नरसंहार जैसे हालात का सामना करना पड़ा और उन्हें भागने के लिए मजबूर किया गया, जबकि जो लोग रुके हुए थे उन्हें उनके घरों से बाहर खींच लिया गया और बेरहमी से हत्या कर दी गई।
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान के सुरक्षा कवच होने की काफी चर्चा होती रही है। क्या ये कश्मीरी पंडित अल्पसंख्यक के लिए नहीं था?’’
उन्होंने कहा, ‘‘तब यह संवैधानिक ढाल कहां थी? वह 'न्याय' तब कहां था जब कश्मीरी पंडितों को करीब 5000 साल की उनकी मातृभूमि से खदेड़ दिया गया था।’’
पुरी ने कहा, ‘‘क्या वे हमसे यह भूलने की उम्मीद करते हैं कि उन्होंने 1976 में पुरानी दिल्ली में मुस्लिम पुरुषों की जबरन नसबंदी के लिए शिविर चलाए थे?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सांप्रदायिक दंगे करवाए, जिसमें कई मुस्लिम भाइयों और बहनों ने अपनी जान गंवाई।
पुरी ने कहा कि कांग्रेस ने शाह बानो मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलट दिया क्योंकि उन्हें लगा कि यह मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथी तत्वों को अपील कर सकता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यकों का कल्याण सिर्फ तुष्टिकरण का नारा है और दूसरी ओर मोदी सरकार के लिए यह प्रत्येक नागरिक के समावेशी विकास के बारे में है।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं से काफी लाभ हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों ने यह सुझाव दिया है कि संविधान में नागरिकों को सुरक्षा कवच दिया गया है, मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि सरकार ने तब क्या किया जब मेरे समुदाय के 3000 निर्दोष सिखों को दिल्ली की सड़कों पर नृशंस तरीके से मार दिया गया।’’
चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल (बीजद) के देबाशीष सामंतराय ने कहा, ‘‘आज क्या स्थिति है, किसी को भी जेल भेजा जा सकता है, मुख्यमंत्रियों को जेल में डाल दिया गया, जमानत नहीं दी गई। निश्चित रूप से देश में आपातकाल है, मैं इसे खुले तौर पर कहूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तथाकथित संवैधानिक प्रहरी पालतू कुत्ते बन गए हैं, कोई भी बिना औचित्य के सलाखों के पीछे हो सकता है।’’
बीजद ना तो सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) न ही विपक्ष के ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ का हिस्सा है।
सामंतराय ने कहा, ‘‘हम आपातकाल की बात करते हैं, लेकिन भारत में छद्म आपातकाल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान कहीं न कहीं भटक गया है। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से कुछ नहीं होगा। हमारी जिम्मेदारी है कि इस संविधान को स्वस्थ और जीवंत रखे।’’
उन्होंने कहा कि बहस संविधान पर हो रही है लेकिन भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर छींटाकशी कर रहे हैं जबकि छोटे दल गौण से हो गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘संघीय ढांचे पर कोई बात नहीं कर रहा है।’’
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ए डी सिंह और तमिल मनीला कांग्रेस के जी के वासन सहित कुछ अन्य सदस्यों ने चर्चा में भाग लेते हुए संविधान की यात्रा पर अपने विचार रखे।
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