देश की खबरें | कांग्रेस और द्रमुक ने कहा: बैंककारी नियमन संशोधन विधेयक राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 16 सितंबर कांग्रेस और द्रमुक ने बैंककारी नियमन संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए बुधवार को कहा कि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल है।

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने लोकसभा में बैंककारी नियमन संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कई बैंकों से जुड़ी जालसाजी का उल्लेख करते हुए कहा कि इन अपराधों को रोकने में आरबीआई का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत मिलाजुला है।

यह भी पढ़े | SSLC Supplementary Exams 2020: कर्नाटक सरकार 21-28 सितंबर से परीक्षा के दौरान छात्रों के लिए केएसआरटीसी बसों में मुफ्त यात्रा की दी अनुमति.

उन्होंने कहा कि इस केंद्रीय बैंक में सुधार की जरूरत है तथा इस कामकाज में बंटवारे की जरूरत है ताकि वह बैंकिंग व्यवस्था के उचित नियमन की अपनी बुनियादी भूमिका का निर्वहन कर सके।

तिवारी ने विधेयक से जुड़े अध्यादेश को लेकर कहा कि अध्यादेश जारी करने के लिए कुछ आधार होते हैं, लेकिन इस अध्यादेश को जारी करने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है।

यह भी पढ़े | Coronavirus: भारतीय सेना में बढ़ रहे हैं COVID-19 के मामले, 19 हजार से ज्यादा जवान हुए संक्रमित.

उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन यहां जिला सहकारी बैंकों से कृषि क्रेडिट सोसायटी को अलग करने का प्रयास किया जा रहा है जिसका कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।

तिवारी ने आग्रह किया कि कि सरकार इस विधेयक को वापस ले क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश में सहकारी बैंकिंग व्यवस्था पर दूरगामी नकारात्मक असर होगा।

द्रमुक सांसद सेंथिल कुमार ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में दखल है।

उन्होंने कहा कि वह वित्त मंत्री की इस दलील से असहमत हैं कि कई सहकारी बैंकों को नुकसान हो रहा है।

द्रमुक नेता ने तमिलनाडु की मिसाल देते हुए कहा कि राज्य में 128 सहकारी बैंक सफलतापूर्व संचालित हो रहे हैं।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने सरकार से सवाल पूछा कि इस विधेयक को इतनी जल्दबाजी में क्यों लाया गया है।

उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंकों का सफल नियामक साबित नहीं हुआ है और उस पर काम का अत्यधिक बोझ है। रॉय ने कहा कि यस बैंक के मामले में भी ऐसा देखने में आया।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक से राज्यों के अधिकारों का भी हनन होगा।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)