काठमांडू, 28 दिसंबर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उपमंत्री के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल ने नेपाल में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच मतभेद दूर करने की कोशिशों के तहत पार्टी के शीर्ष नेताओं पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और माधव नेपाल से सोमवार को मुलाकात की और देश में राजनीतिक हालात पर चर्चा की।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप मंत्री गुओ येझु रविवार को यहां पहुंचे थे। इसे एनसीपी को टूट से बचाने की चीन की कोशिश के तौर देखा जा रहा है।
गुओ ने आज सुबह प्रचंड से मुलाकात की। प्रचंड प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को पार्टी के संसदीय नेता एवं उसके अध्यक्ष पदों से हटाए जाने के बाद पार्टी पर अपने नियंत्रण का दावा कर रहे हैं।
‘काठमांडू पोस्ट’ ने प्रचंड के सचिवालय के हवाले से बताया कि समकालीन राजनीति, खासकर प्रतिनिधि सभा को भंग करने के ओली के कदम के बाद पैदा हुई स्थिति, एनसीपी के दोनों धड़ों को साथ लाने और नेपाल एवं चीन के बीच सहयोग के मामलों पर बैठक में चर्चा की गई।
बाद में चीनी प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी के प्रचंड नीत गुट में ओली की जगह लेने वाले माधव नेपाल से भी मलाकात की।
इससे पहले, चार सदस्यीय चीनी प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री ओली से भी मुलाकात की थी, ताकि दोनों धड़ों के बीच सुलह कराई जा सके।
‘माई रिपब्लिका’ समाचार पत्र ने बताया कि राष्ट्रपति के कार्यालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन बैठकों की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने यह सार्वजनिक नहीं किया कि बैठक के दौरान क्या बातचीत हुई।
‘काठमांडू पोस्ट’ ने सूत्रों के हवाले से कहा, ‘‘ओली ने सदन भंग करने के बाद 30 अप्रैल और 10 मई को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की है, ऐसे में चीनी प्रतिनिधिमंडल इस बात की भी समीक्षा कर रहा है कि क्या चुनाव कराना संभव है।’’
व्यक्तिगत रूप से सभी वरिष्ठ एनसीपी नेताओं को जानने वाले गुओ मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव से भी मुलाकात करेगा।
इस बीच नेपाली कांग्रेस ने प्रतिनिधि सभा को फिर से बहाल किये जाने की मांग को लेकर राजधानी में जन प्रदर्शन रैली का आयोजन किया। सदन को भंग किये जाने के खिलाफ सभी 165 निर्वाचन क्षेत्रों में किये जा रहे राष्ट्र व्यापी विरोध प्रदर्शनों के तहत इस विरोध रैली का आयोजन किया गया था।
मार्च का नेतृत्व नेपाली कांग्रेस के नेता प्रकाशमान सिंह ने किया और यह बिजुली बाजार से शुरू होने के बाद न्यू बानेश्वर चौर पहुंचने के बाद जनसभा में तब्दील हो गया। प्रदर्शनकारी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तत्काल संसद को फिर से बहाल किये जाने की मांग की। इस विरोध रैली में हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने हिस्सा लिया।
उल्लेखनीय है कि नेपाल में पिछले रविवार को उस वक्त राजनीतिक संकट शुरू हो गया था, जब चीन के प्रति झुकाव रखने वाले ओली ने अचानक से एक कदम उठाते हुए 275 सदस्यीय सदन को भंग करने की सिफारिश कर दी। यह घटनाक्रम उनकी प्रचंड के साथ सत्ता की रस्साकशी के बीच हुआ।
प्रधानमंत्री की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति भंडारी ने उसी दिन प्रतिनिधि सभा भंग कर दी और अगले साल 30 अप्रैल एवं 10 मई में नये चुनाव कराए जाने की घोषणा कर दी। इस पर एनसीपी के प्रचंड नीत गुट ने विरोध किया। प्रचंड एनसीपी के सह अध्यक्ष भी हैं।
इस घटनाक्रम से चिंतित चीन ने अपने उप मंत्री गुओ को काठमांडू भेजा। इससे पहले नेपाल में उसके हाई-प्रोफाइल राजदूत होउ यांकी ओली और प्रचंड के बीच गतिरोध दूर करने में नाकाम रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, चीन एनसीपी में फूट से नाखुश है।
गुओ सत्तारूढ़ दल के दोनों गुटों के बीच मतभेद दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें एक गुट का नेतृत्व ओली कर रहे हैं जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व प्रचंड कर रहे हैं।
खबर में कहा गया है कि इससे पहले गुओ ने फरवरी 2018 में काठमांडू की यात्रा की थी, जब ओली नीत सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड नीत एनसीपी (माओइस्ट सेंटर) का विलय होने वाला था और 2017 के आम चुनाव में उनके गठबंधन को मिली जीत के बाद एक एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी का गठन होने वाला था। मई 2018 में दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों का विलय हो गया और उन्होंने एनसीपी नाम से एक नया राजनीतिक दल बनाया ।
सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने बताया कि गुओ एनसीपी के अंदर की स्थिति का जायजा लेंगे और दोनों गुटों को पार्टी की एकजुटता के लिए साझा आधार तलाशने की कोशिश करेंगे। वह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग सहित चीनी नेतृत्व का संदेश भी नेपाली नेतृत्व को देंगे।
यह पहला मौका नहीं है, जब चीन ने नेपाल के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप किया है।
मई और जुलाई में चीनी प्रतिनिधि ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रचंड सहित एनसीपी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें की थी। उस वक्त ओली पर इस्तीफे के लिए दबाव बढ़ रहा था।
नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों के कई नेताओं ने चीनी राजदूत की सत्तारूढ़ दल के नेताओं के साथ सिलसिलेवार बैठकों को नेपाल के अंदरूनी राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप बताया था।
चीन के ‘ट्रांस- हिमालयन मल्टी डाइमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क’ सहित ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत अरबों डॉलर का निवेश किए जाने के साथ हाल के वर्षों में नेपाल में चीन का राजनीतिक दखल बढ़ा है।
चीनी राजदूत ने निवेश के अलावा ओली के लिए खुले तौर पर समर्थन जुटाने की भी कोशिशें की।
‘काठमांडू पोस्ट’ के मुताबिक सीपीसी और एनसीपी नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल रहे हैं। पिछले साल सितंबर में एनसीपी ने एक संगोष्ठी का आयोजन कर नेपाली नेताओं को शी के विचारों के बारे में जानकारी देने के लिए सीपीसी नेताओं को काठमांडू आने का न्योता दिया था। चीनी राष्ट्रपति की प्रथम नेपाल यात्रा से पहले यह आयोजन किया गया था।
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