अमेरिका, 14 अक्टूबर: रूस और क्यूबा निर्विरोध जीते, वहीं चीन और सऊदी अरब प्रतिद्वंद्विता दौड़ में थे, जो मानवाधिकार परिषद में सीटों के लिए इकलौता मुकाबला था. इस मुकाबले में 193 सदस्यीय संरा महासभा के गोपनीय मतदान में पाकिस्तान (Pakistan) को 169 मत, उज्बेकिस्तान को 164, नेपाल को 150, चीन को 139 और सऊदी अरब को 90 मत मिले. सऊदी अरब ने सुधार योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ (Human Rights Watch) एवं अन्य संगठनों ने उसकी उम्मीदवारी का कड़ा विरोध किया और कहा कि पश्चिम एशिया का यह देश मानवाधिकार संरक्षकों, असंतुष्ट लोगों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को लगातार निशाना बना रहा है तथा उसने पहले के उत्पीड़न के मामलों, मसलन वॉशिंगटन पोस्ट के साथ कार्यरत सऊदी अरब के आलोचक जमाल खशोगी की दो वर्ष पहले इस्तांबुल में सऊदी के वाणिज्य दूतावास में हुई हत्या के प्रति जरा भी जवाबदेही नहीं दिखाई.
खशोगी द्वारा स्थापित संगठन ‘डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाऊ’ की लोकतंत्र संबंधी मामलों की कार्यकारी निदेशक सारा ली व्हिट्सन ने कहा कि सऊदी के वली अहद मोहम्मद बिन सलमान जनसंपर्कों पर भले ही लाखों डॉलर खर्च कर रहे हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय उन पर भरोसा नहीं करता. मानवाधिकार परिषद के नियमों के अनुसार इसकी सीटें क्षेत्रवार तरीके से आवंटित की जाती हैं जिससे क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके.
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इस 47 सदस्यीय परिषद में एशिया-प्रशांत क्षेत्र समूह में सीटों के लिए हुए मुकाबले को छोड़ दें तो बाकी के 15 सदस्यों के चुने जाने के बारे में फैसला पहले ही हो चुका था क्योंकि अन्य क्षेत्रीय समूहों में उम्मीदवार राष्ट्रों के समक्ष कोई चुनौती नहीं थी. आइवरी कोस्ट, मलावी, गैबॉन और सेनेगल ने चार अफ्रीकी सीटें जीती. रूस और उक्रेन ने दो पूर्वी यूरोपीय सीटें जीती. लातिन अमेरिका और कैरिबियाई समूह में मेक्सिको, क्यूबा और बोलीविया ने तीन सीटें जीतीं. पश्चिमी यूरोप और अन्य समूहों में ब्रिटेन और फ्रांस ने दो सीटें जीतीं.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन के निदेशक लुइस चारबोनन्यू ने परिणामों की घोषणा के बाद कहा, ‘‘यदि मुकाबले में कोई होता तो चीन, क्यूबा तथा रूस भी हार जाते.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सऊदी अरब की सीट जीत पाने में विफलता यह याद दिलाने का मौका है कि संयुक्त राष्ट्र के चुनावों में और अधिक प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता है.’’ एशिया-प्रशांत समूह में सीट पाने वाले चार देशों में सबसे कम मत चीन को मिले.
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