बांग्लादेश में प्राइमरी स्कूल के बच्चों को एक प्रोजेक्ट के तहत ग्लोबल वॉर्मिंग के बारे में जागरूक किया जा रहा है. ये बच्चे ग्लोबल वॉर्मिंग के पीड़ित हैं.पांच साल की जेरिन को अपने स्कूल की बगिया में मिर्च और बैंगन के पौधों की देख-रेख करना बहुत पसंद है. उसकी क्लास में 30 बच्चे हैं जिनकी उम्र 3 से 5 साल के बीच है. बांग्लादेश के गाजीपुर जिले में ब्रह्मगांव के इस छोटे से स्कूल में बच्चों को सिखाया जा रहा है कि बागवानी कैसे की जाए और उन पर आने वाले कीटों को कैसे पहचाना जाए.
ब्रह्मगांव के प्राइमरी स्कूल में बच्चों को दी जा रही यह सीख एक विशेष प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट के तहत बच्चों को प्रकृति और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों के बारे में सिखाया जा रहा है. और इस सबक का माध्यम खेल व संगीत को बनाया गया है.
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि जलवायु परिवर्तन के सबसे ज्यादा खतरे बच्चों को झेलने होंगे जिनकी जिंदगी में अत्यधिक खराब मौसम की घटनाओं की संख्या चार गुना तक बढ़ सकती है.
जिस तरह के प्रभाव बच्चों को झेलने पड़ सकते हैं उनमें भीषण हीट वेव से लेकर वायु प्रदूषण, फसलों की बर्बादी के कारण कुपोषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली बाढ़ जैसी आपदाएं शामिल हैं. यूनिसेफ की आशंका है कि इस वजह से हर साल करोड़ों बच्चों के विस्थापित होने और उनकी पढ़ाई का नुकसान होने का खतरा लगातार बढ़ रहा है.
बच्चों को जोड़ना जरूरी
इस मुद्दे पर यूनिसेफ की सलहाकार राइस लोपेज रेलो कहती हैं, "जलवायु परिवर्तन का संकट बच्चों के अधिकारों का संकट है, इसलिए उन्हें इस मुद्दे से जोड़ना बहुत जरूरी है.”
इसके चलते बीते कुछ सालों में संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों और युवाओं को अपनी गतिविधियों में ज्यादा से ज्यादा जगह देने की कोशिश की है. मसलन, हर साल होने वाले जलवायु सम्मेलन से पहले बच्चों की पर्यावरण से जुड़ी मांगें पेश की जाती हैं और उन्हें सरकारों प्रतिनिधिमंडलों और नीति निर्माण की प्रक्रिया का भी हिस्सा बनाया जाता है.
इसी महीने दुबई में हुए 28वें जलवायु सम्मेलन में यह फैसला किया गया कि युवा जलवायु कार्यकर्ता आयोजक देशों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि उन्हें वार्ताओं का हिस्सा बनाया जा सके. इसके अलावा पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने स्कूलों में भी अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं ताकि बचपन से ही बच्चों में जलवायु और पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की जा सके.
मिसाल के तौर पर अंतरराष्ट्रीय संगठन बीआरएसी (BRAC) ने हाल ही में बांग्लादेश, युगांडा और तंजानिया के 50 से ज्यादा स्कूलों में ‘ग्रीन प्ले लैब्स' नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया है.
बांग्लादेश से काम करने वाले इस संगठन की शिक्षा विशेषज्ञ आरिफा जफर कहती हैं, "अगर बच्चों को शुरू से ही खेल या बागवानी जैसी गतिविधियों के जरिए कुदरत के साथ जुड़ना सिखाया जाए तो उनके भीतर अपने ग्रह और उसके पर्यावरण को लेकर ज्यादा जिम्मेदारी का अहसास पैदा हो सकता है.”
सबके लिए मौके
इस प्रोजेक्ट में जिन सरकारी स्कूलों को शामिल किया गया है वहां पढ़ने वाले बच्चे अलग-अलग सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमियों से आते हैं. बीआरएसी की परियोजना के लक्ष्यों में से एक यह भी है कि सभी को बराबर और निष्पक्ष मौके मिलें.
ब्रह्मगांव में बच्चे पौधे रोपने के लिए अपने साथ बीज लाते हैं और माता-पिता उनके खेलने के लिए रीसाइकल्ड सामग्री से खिलौने, गुड़िया और औजार आदि बनाते हैं. इस तरह उन घरों के बच्चों को भी खिलौने मिल जाते हैं, जिनके पास संसाधनों की कमी है.
जलवायु से जुड़े प्रोजेक्ट में शामिल इन बच्चों को ग्लोबल वॉर्मिंग के पीड़ित ही माना जाता है. ये ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें जलवायु परिवर्तन से जूझना है और प्रोजेक्ट के जरिए इन्हें उस लड़ाई के लिए तैयार किया जा रहा है.
वीके/आरपी (रॉयटर्स)