नयी दिल्ली, एक अगस्त केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि सरकार एक अगस्त से 16 और आवश्यक खाद्य वस्तुओं की थोक और खुदरा कीमतों पर रोजाना के आधार पर नजर रखेगी ताकि कीमतों को स्थिर रखने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करने में मदद मिल सके।
उपभोक्ता मामलों का विभाग पहले से ही 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 550 केंद्रों से 22 आवश्यक खाद्य वस्तुओं की दैनिक कीमतों पर नजर रख रहा है।
जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अब इसमें (निगरानी की वस्तुओं में) 16 और वस्तुओं को जोड़ रहे हैं, जिससे खाद्य वस्तुओं की कुल संख्या 38 हो जाएगी जिनकी कीमतों पर रोजाना नजर रखी जाएगी।"
ये 16 खाद्य पदार्थ हैं बाजरा (साबुत), ज्वार (साबुत), रागी (साबुत), सूजी (गेहूं), मैदा (गेहूं), बेसन, घी, मक्खन (पाश्चुरीकृत), बैंगन, अंडा, काली मिर्च, धनिया, जीरा, लाल मिर्च, हल्दी पाउडर और केला।
विभाग में मूल्य निगरानी प्रभाग (पीएमडी) चयनित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नज़र रखने के लिए जिम्मेदार है।
मंत्री ने एक अद्यतन ‘पीएमएस मोबाइल ऐप संस्करण 4.0’ भी शुरू किया, जो मूल्य रिपोर्टिंग केंद्रों को 38 वस्तुओं पर दैनिक रिपोर्ट करने में मदद करेगा।
मंत्री ने कहा, ‘‘हमें दैनिक आधार पर 38 वस्तुओं की वास्तविक मूल्य स्थिति का पता चलेगा। हमें मूल्य वृद्धि के बारे में जानकारी मिलेगी। इससे नीति-निर्माण और कीमतों में अस्थिरता को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।’’
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, ‘‘ये 38 जिंस कुल सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति) भार का करीब 31 प्रतिशत हिस्सा हैं, जबकि 22 जिंसों सीपीआई भार का 26.5 प्रतिशत हिस्सा है।’’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने विभाग को मूल्य निगरानी के लिए और जिंसों को जोड़ने का सुझाव दिया है।
सरकार पहले 22 जिंसों - चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर दाल, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, चीनी, गुड़, मूंगफली तेल, सरसों तेल, वनस्पति, सूरजमुखी तेल, सोया तेल, पाम तेल, चाय, दूध, आलू, प्याज, टमाटर और नमक की निगरानी कर रही थी।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए प्याज, आलू और दालों जैसी पहचान की गई कृषि-बागवानी जिंसों की मुद्रास्फीति प्रवृत्तियों से निपटने के लिए इस कोष की स्थापना की गई है।
कीमतों को नियंत्रित करने में मदद के लिए इन जिंसों को विनियमित ढंग से जारी करने के लिए खरीदा और संग्रहीत किया जाता है। सरकार द्वारा इस प्रकार के बाजार हस्तक्षेप से न केवल उचित बाजार संकेतक भेजने में मदद मिलेगी, बल्कि सट्टा व जमाखोरी की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
उपभोक्ता मामलों का विभाग पहले से ही 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 550 केंद्रों से 22 आवश्यक खाद्य वस्तुओं की दैनिक कीमतों पर नजर रख रहा है।
जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अब इसमें (निगरानी की वस्तुओं में) 16 और वस्तुओं को जोड़ रहे हैं, जिससे खाद्य वस्तुओं की कुल संख्या 38 हो जाएगी जिनकी कीमतों पर रोजाना नजर रखी जाएगी।"
ये 16 खाद्य पदार्थ हैं बाजरा (साबुत), ज्वार (साबुत), रागी (साबुत), सूजी (गेहूं), मैदा (गेहूं), बेसन, घी, मक्खन (पाश्चुरीकृत), बैंगन, अंडा, काली मिर्च, धनिया, जीरा, लाल मिर्च, हल्दी पाउडर और केला।
विभाग में मूल्य निगरानी प्रभाग (पीएमडी) चयनित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नज़र रखने के लिए जिम्मेदार है।
मंत्री ने एक अद्यतन ‘पीएमएस मोबाइल ऐप संस्करण 4.0’ भी शुरू किया, जो मूल्य रिपोर्टिंग केंद्रों को 38 वस्तुओं पर दैनिक रिपोर्ट करने में मदद करेगा।
मंत्री ने कहा, ‘‘हमें दैनिक आधार पर 38 वस्तुओं की वास्तविक मूल्य स्थिति का पता चलेगा। हमें मूल्य वृद्धि के बारे में जानकारी मिलेगी। इससे नीति-निर्माण और कीमतों में अस्थिरता को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।’’
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, ‘‘ये 38 जिंस कुल सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति) भार का करीब 31 प्रतिशत हिस्सा हैं, जबकि 22 जिंसों सीपीआई भार का 26.5 प्रतिशत हिस्सा है।’’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने विभाग को मूल्य निगरानी के लिए और जिंसों को जोड़ने का सुझाव दिया है।
सरकार पहले 22 जिंसों - चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर दाल, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, चीनी, गुड़, मूंगफली तेल, सरसों तेल, वनस्पति, सूरजमुखी तेल, सोया तेल, पाम तेल, चाय, दूध, आलू, प्याज, टमाटर और नमक की निगरानी कर रही थी।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए प्याज, आलू और दालों जैसी पहचान की गई कृषि-बागवानी जिंसों की मुद्रास्फीति प्रवृत्तियों से निपटने के लिए इस कोष की स्थापना की गई है।
कीमतों को नियंत्रित करने में मदद के लिए इन जिंसों को विनियमित ढंग से जारी करने के लिए खरीदा और संग्रहीत किया जाता है। सरकार द्वारा इस प्रकार के बाजार हस्तक्षेप से न केवल उचित बाजार संकेतक भेजने में मदद मिलेगी, बल्कि सट्टा व जमाखोरी की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी।
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