नयी दिल्ली, 10 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि केंद्र और कर्नाटक सरकार को सूखा प्रबंधन के वास्ते राज्य के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) से वित्तीय सहायता जारी करने के मुद्दे का समाधान करना चाहिए।
केंद्र की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ से कहा कि उन्हें इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘आपको इसका समाधान करना चाहिए।’’
उच्चतम न्यायालय कर्नाटक सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्र को यह निर्देश देने की अपील की गई है कि वह सूखा प्रबंधन के लिए राज्य को एनडीआरएफ से वित्तीय सहायता जारी करे।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘ अब तक कितनी (सहायता) राशि जारी की गयी है?’’
कर्नाटक की ओर से पेश वकील ने कहा कि राज्य ने 18,171 करोड़ रुपये की मांग की थी और उसे 3,819 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में तय की।
केंद्र ने 29 अप्रैल को शीर्ष अदालत को बताया था कि सूखा प्रबंधन के लिए कर्नाटक सरकार को लगभग 3,400 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
याचिका में यह घोषित करने की अपील की गई है कि एनडीआरएफ के अनुसार सूखा प्रबंधन के लिए पूर्ण वित्तीय सहायता जारी न करने का केंद्र का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत राज्य के लोगों के मौलिक अधिकारों का ‘पूर्व-दृष्टया उल्लंघन’ है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य ‘भयंकर सूखे’ की चपेट में है जिससे लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। उसने कहा कि 2023 के खरीफ सीजन (जून-सितंबर) में 236 में से 223 तालुके सूखा प्रभावित घोषित किये गये थे।
कर्नाटक ने कहा कि एनडीआरएफ के तहत केंद्र से 18,171.44 करोड़ रुपये की सहायता मांगी गयी थी।
याचिका में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और 2020 में अद्यतन की गयी सूखा प्रबंधन नियमावली के तहत कर्नाटक को वित्तीय सहायता देने से इनकार करने में केंद्र की ‘मनमानी कार्रवाई’ के खिलाफ राज्य शीर्ष अदालत का रुख करने के लिए बाध्य हुआ।
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