देश की खबरें | केंद्र सरकार निरस्त किए गए कृषि कानूनों को ‘वापस लाने’ की कोशिश कर रही है: पंजाब के मुख्यमंत्री मान

चंडीगढ़, दो जनवरी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा के नए घोषित मसौदे का जिक्र करते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि केंद्र अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों को “वापस लाने” की कोशिश कर रहा है।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने नव घोषित मसौदा नीति को 2020 में पारित तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को “पिछले दरवाजे से” फिर से लागू करने का प्रयास करार दिया है। किसानों के एक साल के लंबे विरोध के बाद केंद्र ने इन कानूनों को निरस्त कर दिया था।

यहां पत्रकारों से बात करते हुए मान ने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें केंद्र सरकार से संबंधित हैं, जिसे किसानों के साथ बातचीत करनी चाहिए।

मान ने कहा, “किसानों की सभी मांगें केंद्र से संबंधित हैं, चाहे वे शंभू और खनौरी सीमाओं पर चल रहे आंदोलन का नेतृत्व करने वाले दो मंचों से हों या अन्य किसान संघों से। किसान संघ अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन मांगें एक हैं।”

उन्होंने पूछा, “केंद्र किसानों को बातचीत के लिए क्यों नहीं आमंत्रित करता है?”

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान सुरक्षा बलों द्वारा उनके दिल्ली कूच को रोके जाने के बाद 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।

वे कई मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें से एक फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी है।

मान ने कहा, “ये वे दो मंच हैं, जिनके साथ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और तत्कालीन कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने अधिकारियों की एक टीम के साथ पहले भी कई दौर की बातचीत की थी। निर्णय किसान संगठनों को लेना है और मैं (फरवरी में जब किसानों और केंद्र के बीच वार्ता हुई थी) एक सेतु के रूप में काम कर रहा था।”

उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने पहले भी केंद्र से किसानों से बातचीत करने के लिए कई प्रयास किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, “किसानों की मांगें केंद्र से संबंधित थीं। उस समय सहमति नहीं बन सकी और बाद में देश में आम चुनाव हो गए। नरेन्द्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बन गए। लोकसभा चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद केंद्र की ओर से दोबारा किसानों से बातचीत करने या हितधारकों को बुलाने का कोई प्रयास नहीं किया गया।”

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल के बारे में उन्होंने कहा, “डल्लेवाल के अनशन का 38वां दिन है, लेकिन उन्हें (केंद्र को) कोई परवाह नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि डल्लेवाल के स्वास्थ्य का ध्यान रखना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, “हम इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। खनौरी में पचास डॉक्टर ड्यूटी पर हैं, जहां डल्लेवाल का धरना चल रहा है। बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर हमने एक अस्थायी अस्पताल बनाया है।”

मान ने कहा, “उच्चतम न्यायालय ने कहा कि डल्लेवाल को किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना चाहिए। मैंने मंगलवार को डल्लेवाल से बात की और उन्हें बताया कि उनका स्वास्थ्य हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। मैंने उनसे कहा कि आंदोलन लंबे समय तक चल सकता है और उनका इसमें सबसे आगे रहना बहुत जरूरी है, इसलिए उनका स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है।”

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