देश की खबरें | भारत की शुरूआती 'महिला चिकित्सकों' की अनकही कहानियां बताती पुस्तक का विमोचन

नयी दिल्ली, 31 जुलाई भारत की शुरूआती 'महिला चिकित्सकों' द्वारा अपनाए गए अपरंपरागत रास्तों का पता लगाते हुए, एक नयी पुस्तक दिखाती है कि कैसे इस क्षेत्र की अग्रदूतों ने पुराने मानदंडों को चुनौती दी तथा काम और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन कायम किया एवं महिलाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा।

पत्रकार-लेखक कविता राव ने, ''लेडी डॉक्टर्स: द अनटोल्ड स्टोरीज ऑफ इंडियाज फर्स्ट वीमेन इन मेडिसिन'' नामक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में 1860 से 1930 के बीच छह महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियां और उनके जीवन का वर्णन है जिन्होंने इस विचार को खारिज कर दिया कि वे अपने लिंग के आधार पर चिकित्सा की पढ़ाई के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

लेखिका ने पुस्तक में लिखा, ''.. मैंने उन महिला डॉक्टरों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया, जिनके बारे में कुछ ही जानकारी बची है। ये मुझे सबसे सम्मोहक और आकर्षक कहानियां लगीं। ये महिलाएं डायरियां नहीं लिखती थीं, लिहाजा मैंने उनके मित्रों और समकालीन लोगों के जरिये उनके बारे में जानकारी एकत्रित की।''

उन्होंने कहा, '' मेरी आशा है कि यह पुस्तक इन महिलाओं को सुर्खियों में लाएगी और पाठकों को भारत की पहली शुरूआती डॉक्टरों के अपरंपरागत जीवन के बारे में जानने का मौका मिलेगा।''

प्रकाशन समूह वेस्टलैंड के अनुसार आनंदीबाई जोशी, कादंबिनी गांगुली, रुखमाबाई राउत, हेमाबती सेन सहित दमदार महिलाओं की सम्मोहक कहानियों को ''हमारी पाठ्यपुस्तकों और यादों से मिटा दिया गया है, क्योंकि इतिहास ज्यादातर पुरुषों द्वारा, पुरुषों के बारे में लिखा गया है।''

पुस्तक की कीमत 499 रुपये है। फिलहाल ऑनलाइन और ऑफलाइन दुकानों से इसे खरीदा जा सकता है।

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