मुंबई, 12 जून बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका पर सोमवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति एस जी दिगे की खंडपीठ ने कहा कि वह नवलखा की याचिका पर 28 जून को सुनवाई करेगी।
पीठ ने कार्यकर्ता गौतम नवलखा के वकीलों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि मामले से संबंधित सभी तारीखों को सही ढंग से रिकॉर्ड पर रखा जाए, क्योंकि उनकी जमानत याचिका पर विशेष एनआईए अदालत में दो बार सुनवाई हुई थी।
इस साल अप्रैल में, विशेष अदालत ने नवलखा को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि प्रथम दृष्टया ऐसे सबूत हैं कि कार्यकर्ता प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का सक्रिय सदस्य था।
उच्च न्यायालय में दायर अपनी अपील में नवलखा ने कहा कि विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर गलती की है।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में कार्यकर्ता को नजरबंद करने की अनुमति दी थी, जिसे अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था।
वह वर्तमान में पड़ोसी ठाणे जिले में नवी मुंबई में रह रहे हैं।
यह नवलखा की उच्च न्यायालय में नियमित जमानत की अपील का दूसरा दौर है। इससे पहले, विशेष एनआईए अदालत द्वारा पिछले साल सितंबर में उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद नवलखा ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
एनआईए ने तब नवलखा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि उनकी भर्ती के लिए उन्हें पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के एक जनरल से मिलवाया गया था, जो संगठन के साथ उनकी सांठगांठ को दर्शाता है।
उच्च न्यायालय ने हालांकि कहा था कि विशेष अदालत के आदेश में गूढ़ता थी और इसमें उन सबूतों का विश्लेषण शामिल नहीं था जिन पर अभियोजन पक्ष की दलीलें आधारित थीं।
उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि इसे देखते हुए, जमानत अर्जी पर विशेष अदालत द्वारा नए सिरे से सुनवाई किए जाने की आवश्यकता है। साथ ही उच्च न्यायालय ने मामले को वापस विशेष अदालत में भेज दिया था।
उच्च न्यायालय ने विशेष न्यायाधीश को चार सप्ताह के भीतर सुनवाई पूरी करने का भी निर्देश दिया था।
तदनुसार, नवलखा ने नियमित जमानत के वास्ते अपने मामले की सुनवाई के लिए विशेष अदालत का रुख किया था।
विशेष अदालत ने तब उन्हीं अनुरोधों वाली याचिका पर फिर से सुनवाई की थी और जमानत संबंधी अपील को खारिज कर दिया था।
नवलखा के खिलाफ यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के एक सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि आयोजन के अगले दिन वहां कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी।
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