चेन्नई, 11 अप्रैल : द्रविड़ दिग्गजों के प्रभुत्व वाले तमिलनाडु के चुनावी मैदान में अक्सर हाशिए पर रहने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार अपनी प्रदेश इकाई का नेतृत्व कर रहे मुखर नेता के. अन्नामलाई की बदौलत उम्मीदों से कहीं ज्यादा लोकप्रियता हासिल की है. राज्य में 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीद है कि इस बार के. अन्नामलाई के नेतृत्व में उसकी पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ेगा. भाजपा तमिलनाडु में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) से गठबंधन किये बिना 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने कोयंबटूर से अन्नामलाई को मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. तमिलनाडु में भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता का कारण अन्नामलाई की 'एन मन, एन मक्कल' (मेरी भूमि, मेरे लोग) पदयात्रा है. यह अन्नामलाई की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक यात्रा थी, जिसने कई लोगों का ध्यान तमिलनाडु भाजपा और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी की ओर आकर्षित किया. यहां तक कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी करीब सात महीने तक चली यात्रा के समापन समारोह में शामिल हुए थे.
अन्नामलाई की रैली में काफी संख्या में लोग शामिल हुए थे, लेकिन इससे पार्टी का वोट प्रतिशत कितना बढ़ेगा, यह देखना बाकी है. अपनी इस पदयात्रा से अन्नामलाई भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति के खिलाफ लड़ने वाले एक बड़े नेता के रूप में उभरे और पदयात्रा का यही मूल उद्देश्य था. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा संचालित दुग्ध सहकारी समिति आविन में तथा ऐसे अन्य प्रतिष्ठानों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर बार-बार द्रमुक पर निशाना साधा. उन्होंने वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसे 'डीएमके फाइल्स' करार दिया, लेकिन सत्तारूढ़ दल ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया. बहरहाल, अन्नामलाई द्वारा उठाए गये इन मुद्दों ने लोगों का उनकी ओर ध्यान आकर्षित किया. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कई मुद्दों पर सत्तारूढ़ दल की तीखी आलोचना कर, मुखर होकर इन मुद्दों को उठाकर और लोगों के प्रति सौहार्दपूर्ण दृष्टिकोण अपना कर अन्नामलाई लोगों के बीच अधिक लोकप्रिय नेता बन गए. खासकर उन लोगों के लिए जो द्रमुक और अन्नाद्रमुक का विकल्प तलाश रहे हैं. यह भी पढ़ें : पीएम मोदी से गेमिंग क्रिएटर्स की मुलाकात, सभी ने बताया क्या हुई उनसे बात
अन्नाद्रमुक या द्रमुक एक के बाद एक कर चुनाव में अपने बड़े नेताओं के दम पर सत्ता में आती हैं लेकिन भाजपा के पास अल्पसंख्यकों, मछुआरों, महिलाओं या अन्य वर्गों के मतों का अभाव हो जाता है. ऐसे में पार्टी के पास तमिलनाडु में भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति के मुद्दों को उठाने के अलावा शायद ही कोई विकल्प बचता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा उस राज्य में अपने केंद्रीय नेताओं के नाम का सहारा लेती है जहां लोग क्षेत्रीय नेताओं को अधिक बढ़ावा देते हैं. अन्नाद्रमुक के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य के पूरे चुनावी इतिहास में भाजपा को केवल तभी फायदा हुआ जब उसने क्षेत्रीय पहचान रखने वाले द्रविड़ प्रमुखों में से किसी एक के साथ गठबंधन किया हो. भाजपा के राज्य उपाध्यक्ष एम. चक्रवर्ती ने कहा कि अन्नामलाई के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से राज्य में उनकी पार्टी का विस्तार हुआ और नए क्षेत्रों में पैठ बनी है. उन्होंने कहा, ''न केवल युवा बल्कि विभिन्न आयु वर्ग के सभी लोग हमारा समर्थन कर रहे हैं और भ्रष्ट (द्रमुक) सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं.''